जगदलपुर, 22 मार्च। दक्षिण बस्तर क्षेत्र में कल हुए पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में जिला रिजर्व पुलिस का एक जवान राजू पोयाम शहीद हो गया। शहीद जवान को लगातार कई गोलियां लगने के बाद भी नक्सलियों अंतिम संास तक मुकाबल करते रहे हैं उन्हें इस बात बड़ा अफसोस रहता है कि नक्सलियों के कारण विकास नहीं हो पा रहा है। आदिवासी बड़े शूरवीर होते हैं। वे पीठ पर गोली खाना कतई पसंद नहीं करते। वे सीधे सीने पर गोली खाकर मातृभूमि के लिए मर मिट जाने पर भरोसा करते हैं। इसका एक बड़ा उदाहरण है आदिवासी जवान राजू पोयम की शहादत। सात गोलियों का जख्म सहने के बाद भी राजू पोयम मैदान छोड़कर भागे नहीं, बल्कि नक्सलियों का डटकर मुकाबला करते रहे।सैल्यूट है रणबांकुरे राजू पोयम को।
बीजापुर जिले और दंतेवाड़ा जिले की सरहद पर हुई कल मुठभेड़ में बस्तर संभाग के आदिवासी जिला रिजर्व पुलिस के जवान राजू पोयम ने भी इस मुठभेड़ हिस्सा लिया और आखिरदम तक लड़ते रहे।
उनके साथ रहे जवानों के अनुसार डीआरजी जवान राजू पोयम बीजापुर जिले के गंगालूर थाना क्षेत्र के जंगलों में नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में फोर्स का हिस्सा थे। सूत्र बताते हैं कि राजू पोयम के शरीर पर कई गोलियां लगी थीं, फिर भी वे लगातार मोर्चे में डटें रहे। जवानों ने बताया कि गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी वे अपने अंतिम सांस तक नक्सयलियों से लड़े और दो नक्सलियों को ढेर भी किया।
इस मुठभेड़ में डीआरजी के जवान राजू पोयम शहीद हो गए थे। आज उनके पार्थिव शरीर को बीजापुर मुख्यालय में गार्ड ऑफ ऑनर देने के बाद गृहग्राम भैरमगढ़ ले जाया गया जहां उनका आज अंतिम संस्कार किया गया। राजू पोयम को अंतिम विदाई देने ग्रामीणों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी।
मुठभेड़ में शहीद डीआरजी जवान राजू पोयम की शौर्यगाथा
