जेडी का रिक्त पर एक महिने से रिक्त है
बस्तर/लगता है बस्तर संभाग की स्वास्थ्य सेवाओं को ही इलाज की जरूरत पड़ रही है। संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य का पद रिक्त होने के बाद बस्तर संभाग में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है ।
डॉ. के.के. नाग, की स्वैच्छिक सेवा निवृति मार्च के अंत में स्वीकृत होने के बाद वे कार्यमुक्त हो गए । जिससे के बाद से स्वास्थ्य सेवांए बद से बदतर हो गई। खास बात यह है कि इस पर पर अभी तक कोई नियुक्ति नहीं हुई है। और न ही प्रशासनिक अंतर को पाटने के लिए कोई अंतरिम व्यवस्था नहीं की गई है। स्वास्थ्य विभाग के अंदरूनी सूत्रों और पर्यवेक्षकों ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है, उन्होंने बताया कि इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के कामकाज में बाधा उत्पन्न होने लगी है।
इन स्वास्थ्य सेवाओं असर गंभीर हो रहा है।
फिलहाल अगर सूत्रों की माने तो स्टाफ नर्स और तकनीशियनों सहित आवश्यक स्वास्थ्य सेवा पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया ठप हो गई है।
कई संविदा और नियमित स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के समयबद्ध वेतन में देरी होना लाजमी है।
- सात जिलों में सी.एम.एच.ओ. (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी) को संचालन संबंधी मार्गदर्शन पर असर नजर आने लगा है, जिससे क्षेत्र की गतिविधियों और निगरानी में समन्वय की कमी हुई है।
- टीकाकरण अभियान और मातृ-शिशु स्वास्थ्य पहल सहित कई स्वास्थ्य कार्यक्रमों में देरी हो रही है या उनकी प्रभावशीलता कम हो रही है।
- बस्तर जैसे क्षेत्र में, जहां समय पर और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, संभागीय स्तर पर नेतृत्व की अनुपस्थिति के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
- संभागीय अधिकारियों के स्पष्ट निर्देश के बिना जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों को राज्य और केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में कठिनाई हो रही है।
प्रशासनिक मानदंडों के अनुसार, नामित जे.डी. स्वास्थ्य की अनुपस्थिति में, निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था – जैसे कि संभागीय आयुक्त को अतिरिक्त प्रभार देना – की जा सकती थी।
हालाँकि, अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है। कार्रवाई की कमी ने सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नेतृत्व की कमी को दूर करने में स्वास्थ्य प्रशासन की तैयारी और गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आश्चर्य है एक महिना गुजर जाने के बाद भी कोई स्थानीय नेता, नागरिक समाज समूह और स्वास्थ्य कार्यकर्ता किसी भी तरह की अपील लेकर समाने नहीं आया है । इन दिनों समूचे छत्तीसगढ़ में सुशासन त्यौहार मनाया जा रहा है सरकार अपनी उपलब्धियों को खूब डंका बजा रही है और हाल ही बस्तर में संभाग स्तरीय बैठक हुई जिससे विकास को लेकर बड़ी चिंता जाहिर की गई मगर आश्चर्य है -स्वास्थ्य को लेकर कोई निर्णय क्यों नहीं लिया जा सका। कई लोगों को डर है कि आगे की देरी बस्तर में सार्वजनिक स्वास्थ्य संकेतकों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। खासकर कमजोर आदिवासी आबादी के बीच, जो पहले से ही स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने में कई बाधाओं का सामना कर रही है।
मौसमी बीमारियों और चल रहे स्वास्थ्य कार्यक्रमों के कारण स्वास्थ्य सेवा की ज़रूरतें बढ़ रही हैं, ऐसे में बस्तर में प्रशासनिक निष्क्रियता एक महिने से चल रही है। बस्तर को लेकर चिंतित रहने वाले नेताओं और अधिकारियों को चाहिए कि जल्द इस दिशा में काम करें।