अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरे आदिवासी ग्रामीण

सुकमा, 11 मार्च . तेंदूपत्ता राशि में अनियमितता बरतने के आरोप में सुकमा डीएफओ को निलंबित कर दिया गया है, जबकि जांच में केवल डीएफओ को निलंबित कर शासन के द्वारा खाना पूर्ति की जा रही है मांग की गई कि इस संबंध में अन्य अधिकारी कर्मचारी एवं तेंदूपत्ता समिति के प्रबंधक की जांच कर इन पर भी कार्रवाई की जाए। और दोषियों पर एफआईआर दर्ज कड़ी सजा देने की मांग की, साथ ही तेंदूपत्ता बोनस राशि वितरण करने की आवाज उठाई।

आदिवासी जनता का तेंदूपत्ता बोनस राशि लगभग 3 करोड़ 70 लाख रूपये को वन विभाग के अधिकारी, प्रबंधक हड़प कर खा गए हैं, उनसे वसूला जाने तथा तेंदूपत्ता का समर्थन मूल्य में वृद्धि करने एवं तेंदूपत्ता खरीदी की नीति को बदलकर ग्राम सभा को पूरे अधिकार देने की मांग लेकर बस्तरिया राज मोर्चा संगठन के द्वारा सुकमा जिला मुख्यालय के बस स्टैंड प्रांगण में एकदिवसीय धरना प्रदर्शन करते हुए महामहिम राज्यपाल के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान जिला पंचायत सदस्य महेश कुंजाम, रामा सोड़ी, हड़मा राम, गंगाराम राजेश नाग सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण इलाकों से पहुंचे ग्रामीण मौजूद थे। यह कि तेन्दुपत्ता का संग्रहण प्राथमिक वनोवज सहकारी समितियों द्वारा किया जाता है। सन् 2021 एंव 2022 का बोनस राशि कुल 6 करोड़ 54 लाख 71 हजार 9 सौ दो रूपये आया था। जिसमें 3 करोड़ 62 लाख 78 हजार 8 सौ 81 रूपये को नगद बांटना था और यही राशि को वन विभाग के बड़े अधिकारी एंव प्रबन्धक मिलकर गबन कर चुके है। शिकायत के फलस्वरूप जांच हुई, जिसके बाद सुकमा के वन मण्डलाधिकारी को निलम्बित कर दिया गया है। हमारी मांग है कि जो भी अधिकारी, प्रबन्धक इस घोटाला में लिप्त है उनके खिलाफ दण्ड विधान के अन्तर्गत अपराधिक पंजीबद्ध किया जाय तथा उनसे पूरी राशि वसूलकर जनता को दिया जाए।
तेन्दुपत्ता का समर्थन मूल्य में वृद्धि कर प्रति मानक बोरा 7000 रूपये किया जाए। समितियों के द्वारा केन्द्रीकृत तरीके से तेन्दुपत्ता का संग्रहण होता है। यह संग्रहण का तरीका वैधानिक नहीं है। पेसा एंव वनाधिकार मान्यता कानून लागू है, दोनों कानून ग्राम सभा को ऐसे मामलों में व्यापक अधिकार देता है। इसलिए इन कानूनों के मुताबिक तेन्दुपत्ता का क्रय-विक्रय का अधिकार ग्राम सभा को दिया जाए। बस्तर राज मोर्चा के संयोजक एवं पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि तेंदूपत्ता बोनस राशि लगभग 3 करोड़ 70 लख रुपए के वन विभाग के अधिकारी और प्रबंधक हडप कर खा गए हैं। इस बोनस राशि को वसूल कर तेंदूपत्ता संग्रहको को दिया जाए। उन्होंने कहा कि जांच के आधार पर दोषियों को सिर्फ निलंबित करने से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में डीएफओ ने कितने पैसे गबन किए हैं एवं किसके कहने पर किए हैं इस पूरे मामले की जांच कर अन्य बाकी लोगों जो इस मामले में दोषी है, उन पर कार्रवाई की जाए और इस प्रकार की कृति करने वाले लोगों पर आपराधिक मामला दर्ज कर उन एफआईआर करें। ताकि इस तरह की घटना की पुनरावृति ना हो सके, उन्होंने कहा कि तेंदूपत्ता संग्रहको की गाड़ी कमाई को तेंदूपत्ता से जुड़े अधिकारी गबन कर जाते ये अपराध है। इससे पूर्व कोंटा इलाके एर्राबोर क्षेत्र में दो साल पहले, 02 करोड रुपए की तेंदूपत्ता राशि नहीं मिलने से वहां की भी ग्रामीणों की आवाज उठाने पर उन्हें राशि दी गया एवं दोषियों पर जेल भेजने तक का करवाई है।

उन्होंने कहा कि सलवा जुडूम के दौरान अंदरूनी इलाकों के हर साल तेंदूपत्ता बोनस की करोड रुपए की राशि आती थी लेकिन कोंटा इलाकों में कभी तेंदूपत्ता की राशि नहीं बटा है, और इसी तरह से इस बार भी यह लोग करने के प्लान में थे लेकिन सफल नहीं हुए। आज इसका नतीजा है डीएफओ को निलंबित करना पड़ा है। अब शासन से मांग करते हैं कि तेंदूपत्ता बोनस राशि जो नहीं बात है उसे बांटने का काम करें नहीं तो आने वाले दिनों में डीएफओ कार्यालय का घेरा होकर उग्र आंदोलन करने के लिए बाद ही होना पड़ेगा।

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