जलसंसाधन विभाग में तमाम फर्जीवाड़ों की उठी जांच की मांग बस्तर जिले के कई विभागों को जिला खनिज कोष से कोई भी राशि स्वीकृत नहीं की गई है जबकि इस कोष की बीस प्रतिशत से भी अधिक राशि केवल जल संसाधन विभाग को दी गई। मार्च 2024 में लोकसभा की आचार संहिता लगी हुई थी इसके बावजूद भी इस विभाग ने कई ऐसे काम शुरू किए जो इस समय नहीं किए जा सकते थे। यही कारण है कि उक्त अधिकारी अम्बिकापुर में निलंबित हुआ और आगे बहाल होकर नया खेल खेलने बस्तर जिले में आ गए। वर्ष 2024 में इस विभाग को बड़े पाराकोट एवं मिंचनार स्टापडेम निर्माण कार्य के लिए चार करोड़ साठ लाख रूपए आबंटित हुए। तथा चित्रकोट के ग्लास स्काई वॉक निर्माण में पांच करोड़ साठ लाख आबंटित हुआ। ये बाब अलग है कि इस निर्माण की स्वीकृति रद्द कर दी गई एवं चित्रकोट में पार्क निर्माण के लिए दो करोड़ साठ लाख स्वीकृत हो गए। इसी प्रकार बकावंड में उदवहन सिंचाई योजना नई एवं रिपेरिंग के लिए दो करोड़ अस्सी लाख स्वीकृत किए गए।
बस्तर जिले में सिंचाई विभाग के कार्यपालन यंत्री के जुगाड़ के कारण प्रशासन ने वर्ष 2024 में जिले को प्राप्त कुल आबंटन की 20 फीसदी से अधिक की राशि मनमानी तरीके से सिंचाई विभाग को आबंटित कर दी है। जबकि जिले में दो दर्जन ऐसे सरकारी विभाग भी है जिन्हे डीएमएफ मद से राशि की सर्वाधिक आवश्यकता थी उन्हें प्रशासन ने बैरंग लौटा दिया। सिचंाई विभाग ने डीएमएफ के निर्माण कार्यों में प्राक्कलन के साथ-साथ टंेडर में भी काफी अनियमितताएं की हैं। इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग अब उठने लगी है।
वर्तमान में जगदलपुर में सिंचाई विभाग पदस्थ ईई पूर्व में अपने अंबिकापुर में पदस्थापना के दौरान भी वित्तीय अनियमितता के मामले में निलंबित हो चुके है। अब उन्होंने फिर से पुरानी कार्यप्रणाली के आधार पर बस्तर में भी अपनी फील्डिंग शुरू कर दी।
करीम