जगदलपुर, 21 जून । दक्षिण बस्तर के अतिसंवेदशील इलाके के पहाड़ी में जवान और ग्रामीण मिलकर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में दहशत को पीछे छोड़ते हुए खुले मन से आज पहली बार भाग लिए। 150वीं बटालियन के कमांडेंट राकेश शुक्ला ने बताया कि सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों पूवर्ति, सिलगेर और टेकलगुड़ेम स्थित सीआरपीएफ कैंपों में जवानों ने सामूहिक रूप से योगाभ्यास किया वही सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित जवानों संग ग्रामीणों ने किया योग वही ये तस्वीर तुमालपाड का है जवानों ने जंगल और पहाड़ में बैठ के ग्रामीणों के संग किया योगा ग्रामीणों ने पहली बार जिंदगी में जाना कि योग क्या हैं और जवानों के संग मिलकर किया योग विषम परिस्थितियों में नक्सलियों के कोर क्षेत्र में तैनात जहां ना सड़क है ना ही बिजली ऐसे जगहों पर जवानों ने योग को बताया कि अपने आप को स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन के लिए वरदान है योग है वही ग्रामीणों में योग के बाद खुसी का माहौल था । उन्होंने बताया कि इस आयोजन में सीआरपीएफ 150वीं बटालियन के जवानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जवानों ने सुबह के समय योग के विभिन्न आसनों का अभ्यास कर तन और मन को स्वस्थ रखने का संदेश दिया। योग अभ्यास के साथ जवानों को इसके महत्व और लाभों की भी जानकारी दी गई। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात सुरक्षाबलों के लिए योग न केवल मानसिक शांति और तनाव मुक्ति का माध्यम है, बल्कि यह उनकी शारीरिक फिटनेस को भी सशक्त बनाता है। जवानों ने कहा कि योग उनकी ड्यूटी में संतुलन बनाए रखने और मनोबल बढ़ाने में मदद करता है। श्री शुक्ला ने बताया कि पहली बार ग्रामीण परिवार को खुशहाल देखा। ग्रामीण देवाराम ने बताया कि पूरे इलाके में पहली बार योग को जाना और देखा क्योंकि इलाके में अब नक्सली दहशत नहीं है बच्चे स्कुल जा रहे हैं और गांव का गांव मुख्य धारा से जुड़ रहा है।
नक्सली इलाके में पहली बार योग दिवस
