इंद्रावती टाइगर रिजर्व में घायल बाघ का रेस्क्यू

बीजापुर, 17 अप्रैल ।इंद्रावती टाइगर रिजर्व के बीजापुर बफर रेंज में एक दर्दनाक और चिंताजनक घटना सामने आई है। कांदुलनार, मोरमेड़ और तोयनार गांवों के बीच स्थित घने जंगलों में शिकारियों द्वारा लगाए गए तार के फंदे में फंसकर एक वयस्क नर बाघ गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल बाघ की उम्र लगभग 5 से 6 वर्ष बताई जा रही है।
बाघ के दोनों पिछले पैर फंदे की वजह से बुरी तरह जख्मी हो गए थे। ज़ख्मों में सड़न आ चुकी थी और कीड़े पड़ चुके थे, जिससे बाघ की हालत और भी गंभीर हो गई थी। वन विभाग को इसकी जानकारी मिलते ही तत्काल एक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। ट्रैंकुलाइज कर बाघ को बेहोश किया गया, फिर सावधानीपूर्वक उसके पैरों से तार हटाकर प्राथमिक उपचार दिया गया। इसके बाद उसे इलाज के लिए जंगल सफारी क्षेत्र में शिफ्ट किया गया।

इस घटना के करीब कुछ दिनों पहले, इसी क्षेत्र के कांदुलनार गांव के रहने वाले सर्वे कुन्ना नामक व्यक्ति की बाघ के हमले में मृत्यु हो गई थी। इस बात ने भी इलाके में दहशत फैला दी थी और वन्यजीवों तथा मानव बस्तियों के बीच संघर्ष की स्थिति को उजागर किया था।

इंद्रावती टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक संदीप बलगा ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि बाघ की हालत गंभीर है लेकिन चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया है और उसकी स्थिति में सुधार की उम्मीद की जा रही है।

वन्यजीव संरक्षण पर बड़ा सवाल

इस घटना ने जंगलों में सक्रिय शिकारियों और उनके द्वारा लगाए जा रहे घातक जालों को लेकर गंभीर चिंता खड़ी कर दी है। यह स्पष्ट है कि शिकारियों की गतिविधियाँ न सिर्फ वन्यजीवों बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा बनती जा रही हैं। इंद्रावती टाइगर रिजर्व जैसे संरक्षित क्षेत्र में इस प्रकार की घटनाएं वन्यजीव सुरक्षा व्यवस्था पर भी एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है।

स्थानीय लोगों में भय का माहौल

एक तरफ ग्रामीणों को बाघ के हमले का डर सताता है, वहीं दूसरी ओर वन्यजीवों को शिकारियों के जाल का सामना करना पड़ रहा है। यह टकराव जंगल और मानव बस्तियों के बीच संतुलन की आवश्यकता को दर्शाता नजर आ रहा है।

कुछ साल पहले शिकारियों ने किया था एक बाघ का शिकार :- ज्ञात हो की कुछ साल पहले इंद्रावती टाइगर रिजर्व के कोंडामौसम के जंगलो में शिकारियों ने एक बाघ का शिकार कर उसे मार दिया था और उसके अंगों का सौदा करने के लिए उसे बाजार में बेचने का प्रयास किया था जिसके बाद आईटीआर के अधिकारियो और कर्मचारियों ने 40 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था इस घटना में सीआरपीएफ के अधिकारी को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की गई थी।

अब यह देखना होगा कि प्रशासन और वन विभाग इस घटना के बाद शिकारियों के खिलाफ कितनी सख्ती से कार्रवाई करता है और बाघ जैसे महत्वपूर्ण प्रजाति की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से ठोस कदम उठाए जाते हैं। करीम

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