10 वर्षीय आदिवासी लड़के की हिम्मत और साहस ने बचाई जान

जगदलपुर 28 जनवरी। छत्तीसगढ़ के दंतेवाडा जिले से 10 वर्षीय आदिवासी लड़के की हिम्मत और साहस से भरी हुई एक खबर सामने आई है. 10 साल का दीपक ने अपनी जान की बाजी लगाकर अपने पिता को मौत के मुंह से वापस ले आया. पिता को बचाने के लिए दीपक भालू से भीड़ गया.

वंजाराम नेताम अपने 10 वर्षीय बेटे दीपक के साथ घने जंगल के बीच स्थित हांदावाड़ा जलप्रपात देखने के लिए गया हुआ था. पिता पुत्र दोनों बांस काटने के लिए जंगल के अंदर पहुंच गए थे तभी अचानक एक जंगली भालू ने वंजाराम नेताम पर हमला कर दिया.भालू के हम से वंजाराम लहूलुहान हो गया.

डंडे के सहारे भालू से लड़ गया लड़का

पिता की जान खतरे में देख 10 वर्षीय दीपक लकड़ी के एक डंडे के सहारे भालू से भीड़ गया. दीपक की हिम्मत और साहस के चलते कुछ देर लड़ने के बाद भालू मौके से निकल कर घने जंगल की ओर निकल गया. वहीं पिता को घायल हालत में लेकर बेटा गांव की ओर वापस लौट आया और दंतेवाडा जिला मुख्यालय लाया गया.जिला अस्पताल में घायल वंजाराम का इलाज चल रहा है. वंजाराम की हालत फिलहाल खतरे से बाहर है. दीपक की साहस की खबर सुनकर सभी उसकी तरफ कर रहे है, दीपक कक्षा 5वीं में पढ़ाई करता है.

तेंदुए से लड़ गई थी मां

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से ऐसा मामला आया था. बहराइच में आठ साल की मासूम मां के साथ सो रही थी, तभी देर रात मां बाथरूम चली गई. घात लगाए छिपे बैठे तेंदुए ने बच्ची पर हमला कर दिया. बच्ची की रोने की आवाज सुनकर मां दौड़ते हुए पहुंची और तेंदुए से भिड़ गई. महिला और तेंदुए के बीच करीब 3 मिनट तक चले संघर्ष चला. आखिर में तेंदुआ बच्ची को छोड़कर भाग गया. तेंदुए ने बच्ची के हाथ को जख्मी कर दिया. महिला के चिल्लाने की आवाज सुनकर ग्रामीण और परिजन पहुंचे.

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