वनभैसा अभिनव योजना

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जगदलपुर, 29 अप्रैल। राजकीय पशु वनभैसा को बचाने के लिए चार राज्यों के समन्वय से एक अभिनव योजना प्रारंभ की जा रही है। एक साथ एक समय में चारों राज्य वनभैसों की गणना एक साथ करेंगे क्योंकि समय-समय पर वनभैसा सीमा के आर-पार चले जाते हैं जिससे उनकी वास्तविक गणना नहीं हो पाती।
दक्षिण बस्तर बीजापुर में स्थित इन्द्रावती राष्टीय उद्यान के निदेशक आर एन पांडेय ने बताया कि वन्य प्राणी एक दुसरे के राज्य तक विचरण करते हैं राज्यों के आपसी समन्वय से वन्य प्राणियों की संरक्षण का महत्वपूर्ण प्रयास है। हाल ही में बीजापुर में तंेलगाना, महाराष्ट्र, उड़ीसा तथा छत्तीसगढ़ के वनअधिकारियों और वैज्ञानिकों की बैठक हुई जिसमें वनभैंसा की सबसे शुद्ध नस्ल बस्तर के इद्रावती टाइगर रिजर्व में पाये जाते हैं। अब चारों राज्यों के वनभैसे की डीएनए की जांच की योजना बनाई जा रही है ताकि इस दुर्लभ प्रजाति के वन्य प्राणियों की अनुवांशिकी को समझा जा सके। इसके लिए हैदराबाद के सेंट्रल फार सेलूलर बायलाॅजी लैब में इसके डीएनए की जांच कर अनुवांशिकी से संबंधित जानकारी जुटाई जायेगी।
श्री पांडेय ने बताया कि हैंदराबाद के सीसीएमबी लेब के विशेषज्ञ डा. संभाशिव राव हाल ही में  इंद्रावती टाइगर रिजर्व में छत्तीसगढ़ ओडिशा तेलंगाना महाराष्ट्र के वन अधिकारियों के समन्वय बैठक में पहुंचे थे, जहां उन्होंने चारों राज्य के वन अधिकारियों व कर्मचारियों को वन्य प्राधियों के संरक्षण, संवर्धन वंश वृद्धि में अनुवांशिकी से संबंधित जानकारी के महत्व के बारे में बताया। अब आइटीआर में मिलने वाले दुर्लभ वन्य प्राणी गिद्ध व बाघ के संरक्षण व संवर्धन के लिए अनुवांशिकी जांच की योजना विभाग की ओर से तैयार की जा रही है।
विदित हो कि इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के बीजापुर जिले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। यह दुर्लभ जंगली भैंसों की अंतिम आबादी में से एक का घर है। इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ का सबसे बेहतरीन और सबसे प्रसिद्ध वन्यजीव पार्क है। इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थित है। पार्क का नाम इंद्रावती नदी से लिया गया है, जो पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है और भारतीय राज्य महाराष्ट्र के साथ रिजर्व की उत्तरी सीमा बनाती है। लगभग 2799.08 किमी 2 के कुल क्षेत्रफल के साथ, इंद्रावती को 1981 में एक राष्ट्रीय उद्यान और 1983 में भारत के प्रसिद्ध प्रोजेक्ट टाइगर के तहत एक बाघ अभयारण्य का दर्जा प्राप्त हुआ, जो भारत के सबसे प्रसिद्ध बाघ अभयारण्यों में से एक बन गया।

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