जगदलपुर, 05 मई। नक्सली प्रभावित इलाके के आदिवासी युवकों ने नक्सली हिंसा के बीच शांति वार्ता के लिए सरकार से पहल की। हालांकि इससे पहले प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने भी शांति वार्ता की पहल कर चुके हैं।
बस्तर के बीजापुर जिले के अंदरूनी इलाके के आदिवासी युवकों ने कहा कि मुतवंडी गांव के आदिवासी नवयुवकों के नक्सल संगठन के खिलाफ सरकार के आक्रामक रूख से माओवाद प्रभाव वाले इलाकों में युद्ध जैसे हालात निर्मित हैं, जिससे नक्सलियों और जवानों के साथ निरीह आदिवासी भी मारे जा रहे हैं, दोनों तरफ से वार-पलटवार से आदिवासी इस कदर सहमे हुए हैं कि वे अब सरकार से बस्तर में शांति बहाली की दिशा में जल्द से जल्द कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
ग्रामीण युवा श्री लैखन ने बताया कि पिछले दिनों दंतेवाड़ा-बीजापुर के सरहद में बसे गांव मुतवंडी से प्रेसर बम की चपेट में आने से हाल ही में एक आदिवासी युवक गढ़िया पूनेम की मौत हो गई। इस घटना से युवकों में काफी आक्रोश है क्यांेकि इससे पूर्व क्रास फायरिंग में गढ़िया पूनेम की 6 माह की भांजी भी मारी गई थी। क्षेत्र के नवजवानों का कहना है कि अब हिंसा बर्दाश्त के बाहर है यह थमना चाहिए। नक्सली दहशत से दिन-ब-दिन स्थानीय लोगों की आर्थिक, मानसिक स्थिति कमजोर होते जा रही है और दहशत का माहौल है जल्द से जल्द शांति वार्ता किया जाना निहायत जरूरी है।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री, आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने कहा कि नक्सली समस्या एक राष्ट्रीय समस्या है। केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार को मिलकर शांतिवार्ता किया जाना चाहिए। भारत और प्रदेश सरकार को मध्यस्थता के लिए एक कमेटी बनाकर वार्ता की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि शांतिवार्ता एक अच्छी बात है। लोग शांति वार्ता को लेकर आगे आएं तो सफलता मिल सकती है।
सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया का कहना है कि शांति वार्ता किया जाना चाहिए उसके पूर्व युद्ध विराम और खनिज उत्खनन का काम रोकना चाहिए। शांति वार्ता बिना शर्त होनी चाहिए। बेला भाटिया ने कहा कि आदिवासी आज ऐसे मारे जा रहे हैं जैसे पेड़ से पत्ते गिर रहे हों। और यह युद्ध किसी भी समाज के लिए ठीक नहीं ठहराया जा सकता। इस युद्ध से कुछ हासिल होने वाला नहीं है।
सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने कहा कि शांति वार्ता होना चाहिए और इसके लिए हमारा पूरा समाज आगे आएगा, लेकिन शंांति वार्ता हेतु सामने आने के लिए नक्सलियों पर विश्वास नहीं है और न ही सरकार पर, ईमानदारी से इसपर पहल किया जाना पहली जरूरत है।
हाल ही में बस्तर लोकसभा निर्दलीय प्रत्याशी रूप में बीजापुर फरसेगढ़ इलाके के प्रत्याशी डाॅ प्रकाश गोटा ने अपने घोषणा पत्र में नक्सली समस्या का समाधान के लिए शांतिवार्ता को जरूरी बताया इनका कहना था कि सेवानिवृत्त मुख्य सचिव, बुद्धिजीवी, सामाजिक संगठन आदिवासियों मुखियों तथा नक्सली जानकार लोगों की एक कमेटी बनाकर मध्यस्थता की कार्यवाही करनी चाहिए। सरकार ने भी इस पर पहल की है लेकिन मध्यस्थता जरूरी है तभी बातचीत संभव हो पायेगी।