जगदलपुर 24 मार्च.19 अप्रैल को होने वाले प्रथम चरण के चुनाव में बस्तर सीट से भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होगा। भारतीय जनता पार्टी ने बस्तर सीट पर युवा उम्मीदवार महेश कश्यप को चुनावी मैदान में उतारा है तो वही नामांकन तिथि के 3 दिन पहले अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और कोंटा विधानसभा से छह बार के विधायक वरिष्ठ आदिवासी कद्दावर नेता कवासी लखमा को अपना प्रत्याशी बनाया है.लंबी जद्दोजहद और कांग्रेस के अंदर चल रही खींचतान के बीच इस सीट पर उम्मीदवार घोषित हुआ है.कवासी लखमा अविभाजित मध्य प्रदेश में 1998 में पहली बार कोंटा विधानसभा सीट से चुनाव जीतकरविधानसभा पहुंचे थे और उसके बाद लगातार वे इस सीट पर जीतते आ रहे हैं.कवासी लखमा पिछली कांग्रेस की सरकार में उद्योग एवं आबकारी विभाग में मंत्री भी बनाए गए थे.लगातार छठी बार विधानसभा पहुंचने वाले कवासी लखमा को कांग्रेस ने लंबा राजनीतिक अनुभव और वरिष्ठ कांग्रेसी होने के नाते उम्मीदवार बनाया है तो दूसरी तरफ इस सीट के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और वर्तमान सांसद दीपक बैज और पूर्व मंत्री कवासी लखमा के पुत्र हरीश कवासी के बीच टिकट को लेकर घमासान मचा था.कवासी दाखवा अपने पुत्र को टिकट दिलाने दिल्ली तक की दौड़ लगा चुके थे तो वही पार्टी आलाकमान के पास दीपक बैज ने भी एक बार फिर से मौका दिए जाने अपनी अर्जी लगाई थी.बावजूद इसके अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने दोनों नेताओं के बीच चल रहे राजनीतिक संघर्ष को खत्म करते हुए कवासी लखमा को टिकट दे दिया,अभी तक कांग्रेस पार्टी के द्वारा बस्तर लोकसभा सीट के लिए किसी प्रकार का कोई प्रचार प्रसार प्रारंभ नहीं किया गया है तो वहीं भाजपा कांग्रेस से दो कदम आगे निकल गई.टिकट घोषित होते ही भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ बस्तर में मोर्चाबंदी तैयार कर ली है 8 विधानसभा और 6 जिले को मिलाकर बनने वाले लोकसभा क्षेत्र क्रमांक 10 में भारतीय जनता पार्टी ने प्रचार प्रसार शुरू कर दी है.मुख्यमंत्री स्वयं बस्तर सीट को कांग्रेस से छीनने के लिए लगातार कार्यकर्ताओं को एकजुट कर रहे हैं.2023 के विधानसभा चुनाव में 12 में से 8 सिम जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी ने सभी मंत्रियों विधायकों और केंद्रीय नेताओं को बस्तर सीट पर तैनात कर दिया है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अभी तक अपने कार्यकर्ताओं को ही एकजुट नहीं कर पाई है.कहीं ना कहीं कांग्रेस के अंदर खेमेबाजी साफ नजर आ रही है.विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में भी जोश नहीं दिख रहा.5 वर्ष कांग्रेस भवन में चहल-पहल जरूर दिखाई दी मगर लोकसभा चुनाव की घोषणा के बादकार्यकर्ता तो दूर पूर्व विधायक और वरिष्ठ कांग्रेसी तक नजर नहीं आ रहे हैं.इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के अंदर टिकट को लेकर मचे घमासान के बीच कार्यकर्ता तीर्र बितर हो गए हैं. ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस की पकड़ ढीली नजर आ रही है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी के महेश कश्यप जनसंपर्क अभियान में लगातार जुटे हुए हैं.
कौन है कवासी लखमा
कवासी लखमा सुकमा जिले के नागारस के रहने वाले हैं.1995 में उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ली.1998 में पहली बार उन्हें कांग्रेस से टिकट मिला और इसी सीट से लगातार वे जीतते आ रहे हैं.कवासी लखमा कभी स्कूल नहीं गए वे मवेशी बेचने का काम किया करते थे.1998 में अविजित मध्य प्रदेश के दौरान उन्हें कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया 1998 से लेकर 2023 तक वह लगातार इस सीट से जीत रहे हैं.पिछली कांग्रेस सरकार में उन्हें उद्योग एवं आबकारी विभाग में मंत्री भी बनाया गया अपने विभाग बयानों के जरिये सुर्खियों में रहने वाले कवासी लखमा पर 2013 में हुए झिरम नक्सली घटना में साजिश रचने का आरोप भी लगा था.इस घटना में काग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की हत्या हो गई थी.