बारूद की गंध से कॉफी की महक तक का सफर

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने किया ‘पंडुम कैफ़े’ का ऐतिहासिक उद्घाटन


​जगदलपुर, 17 नवम्बर. मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने ​बस्तर में सामाजिक-आर्थिक बदलाव के एक नए अध्याय की शुरुआत करते हुए सोमवार 17 नवंबर को जगदलपुर में ‘पंडुम कैफ़े’ का ऐतिहासिक उद्घाटन किया। यह कैफ़े नक्सली हिंसा के पीड़ितों और समर्पण कर चुके माओवादी कैडरों के पुनर्वास हेतु छत्तीसगढ़ सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसने हिंसा का मार्ग छोड़कर मुख्यधारा में लौटने वालों को सम्मानजनक और स्थायी आजीविका प्रदान करने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाया है। यह अनूठी पहल संघर्ष से सहयोग तक के प्रेरणादायक सफर को दर्शाती है, जहाँ कभी बारूद की गंध थी, अब कॉफी की महक चारों ओर फैल चुकी है।
उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री श्री साय ने कैफ़े में कार्यरत आत्म-समर्पित माओवादियों और नक्सली हिंसा के पीड़ितों के साथ सौहार्दपूर्ण बातचीत की। उन्होंने उनकी नई शुरुआत के लिए हौसला बढ़ाया और ‘पंडुम कैफ़े’ के बेहतर संचालन के लिए उन्हें शुभकामनाएं और बधाई भी दी। उन्होंने यहां पर नाश्ता व कॉफी का स्वाद भी चखा और कार्य की प्रशंसा की।
​ कैफ़े में कार्यरत युवा, जो नक्सली हिंसा के पीड़ित तथा हिंसा का मार्ग छोड़ चुके पूर्व माओवादी कैडर हैं, अब शांति के पथ पर अग्रसर हो चुके हैं। जिला प्रशासन और पुलिस के सहयोग से उन्हें आतिथ्य सेवाओं, कैफ़े प्रबंधन, ग्राहक सेवा, स्वच्छता मानकों, खाद्य सुरक्षा और उद्यमिता कौशल का गहन प्रशिक्षण प्रदान किया गया। यह कैफ़े इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि जिन हाथों से कभी विध्वंस की इबारत लिखी गई थी, अब उन्हीं हाथों से वे शांतिपूर्ण तरीके से सब्जियां काट रहे हैं, नाश्ता परोस रहे हैं और समाज की सेवा कर रहे हैं।

​हिंसा का मार्ग छोड़कर शांति के पथ पर लौटे और कैफ़े में कार्यरत आत्म-समर्पित माओवादी कैडरों ने इस अवसर पर अपने भावुक वक्तव्य साझा किए, जिन्होंने इस पुनर्वास पहल की भावनात्मक गहराई को दर्शाया। एक पूर्व माओवादी कैडर ने कहा, “हमने अपने अतीत में अंधेरा देखा था। आज हमें समाज की सेवा करने का यह मौका मिला है, यह हमारे लिए एक नया जन्म है। बारूद की जगह कॉफी परोसना और अपनी मेहनत की कमाई से जीना, यह एहसास हमें शांति और सम्मान दे रहा है।” एक दूसरे सहयोगी ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि, “जंगल का डर और अनिश्चितता अब पीछे छूट गई है। पहले हम अपने परिवार को सम्मानजनक जीवन देने का सपना भी नहीं देख सकते थे। अब हम अपनी मेहनत से कमाए पैसों से घर के सदस्यों का भविष्य संवार सकते हैं। यह सब प्रशासन और इस कैफ़े की वजह से संभव हुआ है।” एक अन्य सदस्य ने समुदाय के सहयोग पर ज़ोर देते हुए कहा, “हमें लगा था कि मुख्यधारा में लौटना आसान नहीं होगा, लेकिन पुलिस और जिला प्रशासन ने हमें प्रशिक्षण दिया और हमारा विश्वास जीता। सबसे बड़ी बात यह है कि हम अब पीड़ितों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जो हमें अपने अपराधों को सुधारने और शांति स्थापित करने का मौका दे रहा है।”
​सबसे प्रेरणादायक तथ्य यह रहा कि नक्सली हिंसा के पीड़ितों ने भी इस कैफ़े के सक्रिय सहयोगी के रूप में योगदान दिया, जिसने पूर्व कैडरों के सामाजिक पुनर्एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह कैफ़े इस बात का प्रमाण है कि अवसर और मार्गदर्शन मिलने पर परिवर्तन संभव है। उन्होंने यह भी बताया कि ‘पंडुम’ बस्तर की सांस्कृतिक जड़ों को दर्शाता है, और इसकी टैगलाइन जहाँ हर कप एक कहानी कहता है, इस बात का प्रतीक बनी कि यहाँ परोसी गई हर कप कॉफी सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि साहस, संघर्ष पर विजय और एक नई शुरुआत की कहानी भी अपने साथ लाई।
इस अवसर पर वन मंत्री श्री केदार कश्यप, शिक्षा मंत्री श्री गजेन्द्र यादव, सांसद श्री महेश कश्यप, जगदलपुर विधायक श्री किरण सिंह देव, चित्रकोट विधायक श्री विनायक गोयल, बेवरेज कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष श्री श्रीनिवास मद्दी, अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री रूपसिंह मंडावी, जगदलपुर महापौर श्री संजय पांडे, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती वेदवती कश्यप, संभागायुक्त श्री डोमन सिंह, पुलिस महानिरीक्षक श्री सुन्दरराज पी, कलेक्टर श्री हरिस एस, पुलिस अधीक्षक श्री शलभ सिन्हा, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री प्रतीक जैन सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारीगण भी उपस्थित थे।

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