बस्तर हाई स्कूल के शताब्दी समारोह में होंगे देश-विदेश से पूर्व विद्यार्थी

पुरानी पीढ़ियाँ होंगी एकत्र

जगदलपुर, 15 नवम्बर।
बस्तर हाई स्कूल अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर आगामी 17 नवंबर से तीन दिवसीय शताब्दी समारोह का आयोजन करने जा रहा है। समारोह का उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मुख्य अतिथि के रूप में करेंगे। इस अवसर पर विद्यालय में पढ़े हजारों पूर्व छात्र, जो आज देश-विदेश में उच्च पदों पर कार्यरत हैं, अपने परिवार सहित बस्तर लौटेंगे और बीते पलों को साझा करेंगे।विद्यालय के प्रचार्य रामकुमार के अनुसार, इस ऐतिहासिक आयोजन में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ, व्यापारी, शिक्षाविद, कलाकार, विधायक किरण देव तथा महापौर संजय पांडेकृयह सभी प्रतिष्ठित पूर्व छात्रकृशामिल होंगे। तीन दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रम, बस्तर भ्रमण तथा स्मृति सम्मेलन जैसे विविध आयोजन होंगे, जिससे बीते समय की यादें फिर ताजा हो उठेंगी।विद्यालय के वरिष्ठतम शिक्षकों एवं पूर्व छात्रों के अनुभव इस अवसर को और भी अनूठा बना रहे हैं।

शिक्षक रहे 82 वर्षीय कामेश्वर नायडू ने बताया, “मेरी दादी माधवम्मा नायडू ने भाईराम देव कन्या शाला की शुरुआत की थी कन्या शाला की नींव उन्होंने रखी थी महारानी प्रफुल्ल कुमारी देवी की आज्ञा से. वे महारानी प्रफुल्ल देवी को पढ़ाया करती थीं। हम दिन रात सिर्फ बच्चों के लिए सोचते थे और काम करते थे. आज के शिक्षकों से दीगर काम ज्यादा लिया जाता है इसीलिए शैक्षणिक स्तर गिर रहा है. ‘‘ वे कहते हैं ’’33 साल की सेवा दी मेरे पहले प्राचार्य थे अब्दुल रहमान साहब वह मेरे लिए एक प्रेरणा स्रोत उनकी निष्पक्ष कार्य प्रणाली स्कूल के प्रति सजग संवेदना ने मेरा मार्ग प्रशस्त किया’’।
कामेश्वर नायडू अपने शिक्षक जमुना प्रसाद तिवारी को याद कर बताते हैं ‘‘उनसे बहुत कुछ सीखा शायद इसीलिए मैं निष्पक्ष संवेदनशील शिक्षक की तरह लोकप्रिय बना आज मेरी सबसे बड़ी दौलत मेरे छात्रों का सम्मान स्नेह है । ’’ नायडू कहते हैं ‘‘सबसे ज्यादा इस शाला की तृतीय और चतुर्थ वर्ग की कर्मचारी जिनसे उन्होंने बहुत कुछ सीखा उनमें बुधराम बृजलाल , ललित, चंदन जैसे कर्मचारी याद आते हैं। ’’

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अपनी उम्र के 100 साल पूरे कर चुके बस्तर के जाने माने शिक्षा विद् बीएल झा भी बस्तर हाई स्कूल के छात्र रहें है। वे कहते हैं कि इस विद्यालय में कक्षा छठवीं से दसवीं तक पढ़ाई थी और फिर वहीं 1946 से 1948 तक तीन वर्ष शिक्षक के पद पर पदस्थ रहकर अध्यापन भी कराया।
इस समारोह में शामिल होने वाले बीएल झा सबसे ज्यादा उम्र दराज शिक्षक होगें। बीएल झा बताते हैं इस हायर सेकंडरी स्कूल की शुरूआत 1925-1926 में हुई थी। तब इसे मिडिल स्कूल का दर्जा प्राप्त था। बस्तर में तत्कालीन ब्रिटिश प्रशासक एमडब्ल्यू ग्रीकसन के नाम पर इसे ग्रीकसंन स्कूल कहा जाने लगा। शुरुआत में यह स्कूल सदर बाजार के समीप जहां वर्तमान में महारानी लक्ष्मीधाई शाला है वहां संचालित किया जाता था। आजादी के बाद इसका नामकरण बस्तर हाई स्कूल कर दिया गया। तीन वर्ष पहले कांग्रेस सरकार के समय इसका नामकरण जगतू माहरा शासकीय बहुउद्देश्यीय उच्चतर माध्यमिकः विद्यालय कर दिया गया।
1959 बैच के छात्र एवं प्रसिद्ध रंगकर्मी एम ए रहीम ने याद किया, “उस दौर में बस्तर हाई स्कूल पूरे क्षेत्र का सबसे बड़ा और चर्चित शैक्षणिक संस्थान था। उस समय प्रसाद सर, कर्महे सर, नायडू सर, चतुर्वेदी सर जैसी शिक्षकों की प्रेरणा सभी के लिए उल्लेखनीय थी। मेरा लगाव नाटकों में था इसलिए नाटकों की प्रतिभा निखारने के प्रयास यहाँ हुए. कामेश्वर नायडू और प्रसाद जैसे शिक्षकों ने मेरी इस प्रतिभा को निखारा ”
99 वर्षीय पूर्व छात्र जगदीश जारी ने भी भावुक स्वर में कहा, “मैंने भी यहीं से शिक्षा प्राप्त की और तब बस्तर का प्रशासन अत्यंत अनुशासित था। यह ग्रीकसन हाई स्कूल था. खेल कूद कर अलग कक्षाएं लगती थी. कृषि संकाय वालों को कृषि भूमि ले जाकर दिखाया जाता था ”पूर्व छात्रों की सोशल मीडिया पर भरपूर चर्चा और उत्साह देखने को मिल रहा है। यह आयोजन न केवल एक स्कूल की उपलब्धि, बल्कि पूरे बस्तर संभाग की शिक्षा और सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है, जिसमें तीन पीढ़ियाँ एक साथ अपनी यादों और अनुभवों को साझा करने के लिए एकत्र होंगी।

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