
सुकमा, 16मई नक्सलियों के द्वारा 100 से ज्यादा ied बरामद करने रोलो डॉग को सीआरपीएफ ने दी अंतिम विदाई सीआरपीएफ के डॉग ‘रोलो’ ने अपने जीते जी, जवानों की हिफाजत में जान लगा दी थी। जिसकी मृत्यु के बाद अब DG ने उसे मरणोपरांत सम्मान देने की घोषणा की है। इस खबर को जानने के बाद लोग भी काफी भावुक है।जानवर इंसानों के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं और अपने आखिरी समय तक अपनों से प्यार करने वालों के लिए जान लगा देते हैं। तभी आम आदमी से लेकर फौजी भी इन कुत्तों पर बेहद विश्वास करते हैं। बताते चलें कि इंडियन आर्मी, BSF, CRPF, CISF, NIA, NDA और स्पेशल ऑपरेशन कमांडो, नेवी (मैरिटाइम सिक्योरिटी), राज्य और केंद्र पुलिस तक कुत्तों को कुछ खास वजहों से अपने साथ रखती है।वायरल पोस्ट में यूजर ने CRPF के डॉग ‘रोलो’ के बारे में बात की है, जिस पर लोग भी जमकर रिएक्शन दे रहे हैं। CRPF के पास कुत्तों को ड्रग्स, हथियार, विस्फोटक ढूंढने से लेकर गार्ड ड्यूटी देने और ट्रैकिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जिसके लिए पहले इन्हें 6 से 9 महीने तक खास ट्रेनिंग दी जाती है। जिसमें सूंघना, ढूंढना, इशारे समझना और कमांड फॉलो करना बताया जाता है।रोलो की 2 तस्वीरें देखी जा सकती है, जिसमें वह 1 में बैठा और दूसरे में सतर्क नजर आ रहा है। जानकारी के मुताबिक, रोलो, CRPF के साथ नक्सल प्रभावित इलाकों में रहा था और जवानों को IED से बचाने में बहुत मदद की थी CRPF के ऑपरेशन के दौरान रोलो पर मधुमक्खियों ने हमला कर दिया।
जिससे वह घायल हो गया, जिसके बाद उसे बचाने के लिए तमाम कोशिशें की गई मगर वह मचाया नहीं जा सका और उसने दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन अब उसे मरणोपरांत कमेंडेशन डिस्क देने का अनाउंसमेंट किया गया है।
यह घोषणा खुद DGSachinGuptaUP नाम के यूजर ने यह तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा- ये है CRPF का डॉग, नाम है रोलो। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों को IED से बचाने में रोलो ने बहुत मदद की। ऑपरेशन के दौरान मधुमक्खियों ने रोलो पर हमला बोल दिया। तमाम प्रयासों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। DG ने मरणोपरांत कमेंडेशन डिस्क की घोषणा की है वही आपको बता दे कि सुकमा जिले में नक्सलियों से लोहा ले रहे जवानोँ के साथ CRPF 228 में तीन वर्ष से रोलो के द्वारा 100 ied को बरामद कर डिफ्यूज किया गया वही कोंटा से गोलापल्ली मार्ग पर कभी नक्सलियों के द्वारा सड़क पर ied बिछा दी गई थी कि सड़क निर्माण ना हो सके कई बार इस सड़क पर जवानोँ की शहादत भी हुई है।