सुकमा, 30 जुलाई. माओवाद प्रभावित सुदूर बस्तर अंचल का वह इलाका, जहां कभी सूरज ढलने के साथ ही घुप्प अंधेरा छा जाता था, अब वहां बिजली की रौशनी ने दस्तक दे दी है। जिला सुकमा के कोंटा विकासखंड अंतर्गत स्थित मेटागुड़ा में 27 जुलाई 2025 को जब पहली बार बिजली का बल्ब जला तो यह सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं थी, बल्कि यह उस उजाले की शुरुआत थी, जो दशकों से विकास की प्रतीक्षा में खड़े लोगों के जीवन में उम्मीद की नई किरण बनकर आई है।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित नियद नेल्ला नार योजना के तहत 29 दिसंबर 2024 को मेटागुड़ा में सुरक्षा कैम्प की स्थापना हुई थी। इस सुरक्षा कैम्प ने न सिर्फ सुरक्षा का घेरा बनाया, बल्कि शासन और जनता के बीच की दूरी को भी कम किया। आज उसी कैम्प की बदौलत मेटागुड़ा और आसपास के गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पानी, संचार और अब बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंचने लगी हैं।
बिजली सुविधा से अब ग्रामीणों को न केवल रोशनी मिलेगी, बल्कि बच्चों की पढ़ाई, सिंचाई, मोबाइल चार्जिंग, टेलीविजन, रेडियो जैसे संचार एवं मनोरंजन के साधनों तक भी आसान पहुंच होगी। सबसे बड़ी बात यह कि यह सुविधा ग्रामीणों को यह एहसास कराएगी कि शासन उनके साथ है और उनका भविष्य उज्जवल है।
मेटागुड़ा में बिजली आना सिर्फ एक गांव का विकास नहीं है, यह प्रतीक है उस सोच का, जिसमें बस्तर के अंतिम छोर तक शासन की योजनाओं को पहुंचाने की प्रतिबद्धता है। ष्नियद नेल्ला नार योजना का यह सफल उदाहरण आने वाले समय में अन्य दूरस्थ और अति संवेदनशील क्षेत्रों के लिए प्रेरणा बनेगा।
करीम
विकास की नई उम्मीद, मेटागुड़ा में पहुंची बिजली
