अहिल्याबाई के चरित्र को अपने जीवन में उतारे- राजबहादुर सिंह राणा

जगदलपुर, 31 मई पुण्यश्लोक रानी अहिल्याबाई होलकर की 300 वीं जयंती पर नगर निगम द्वारा शनिवार को डॉ श्यामा प्रसाद मुख़र्जी सभागार (टाउन हॉल) में संगोष्ठी, प्रदर्शनी व सम्मान समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर बस्तर सांसद महेश कश्यप, मुख्य वक्ता राज बहादुर सिंह राणा, अध्यक्षता महापौर संजय पाण्डे, विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व विधायक संतोष बाफना, लच्छू राम कश्यप, पीएससी के पूर्व सदस्य शिव नारायण पांडे, जिला अध्यक्ष वेद प्रकाश पांडे, पूर्व जिला अध्यक्ष विद्याशरण तिवारी उपस्थित रहे। आयोजन में स्वच्छता दीदीयों, नगरीय निकाय के अंतर्गत स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मचारियों को सम्मानित भी किया गया।

मुख्य वक्ता राजबहादुर सिंह राणा ने कहा रानी अहिल्याबाई के जीवनी का हम सबको अध्ययन करना चाहिए अब उसे अपने जीवन में लागू करना चाहिए। वह एक महान मराठा शासिका और रानी थी जो मालवा राज्य में होलकर राजवंश की शासिका के रूप में जानी जाती थी। अपने परोपकार और न्याय के लिए वह प्रसिद्ध थी इसलिए उन्हें लोकमाता भी कहा जाता है। पति की मृत्यु के बाद अहिल्याबाई ने मालवा राज्य की बागडोर संभाली। उनके ससुर के मृत्यु के बाद उन्हें आधिकारिक रूप से रानी घोषित किया गया।

बस्तर सांसद महेश कश्यप ने कहा भारत देश सनातन परंपराओं का देश है। हमें देश के महान विभूतियों के बारे में जानकारी प्राप्त होनी चाहिए। साहसी, न्यायप्रिय और परोपकारी शासिका थी अहिल्याबाई।अहिल्याबाई ने अपने राज्य को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए बहुत प्रयास किया। उन्होंने सेना का नेतृत्व किया और कई युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई।

वरिष्ठ भाजपा नेता व पीएससी के पूर्व सदस्य शिव नारायण पांडे ने कहा अहिल्याबाई ने अपने जीवन में जो चिंतन किया उसका क्रियान्वयन भी किया। पुरे भारत में लोकमाता के नाम से भी उनको जाना जाता है। उन्होंने समाज में सुधार के लिए कई काम किए जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।

महापौर संजय पाण्डे ने कहा रानी अहिल्याबाई का जीवन एक साधारण कन्या से लेकर एक असाधारण सम्राज्ञी बनने की यात्रा है। एक ऐसी वीरांगना जिन्होंने अपने पति की मृत्यु के पश्चात ना केवल शासन संभाला, बल्कि अपने अद्वितीय न्याय, धर्मपरायणता और प्रशासनिक कुशलता से इंदौर राज्य को सुव्यवस्थित और समृद्ध बनाया।उन्होंने भारत के कोने-कोने में मंदिरों और घाटों का निर्माण करवाया, बल्कि काशी विश्वनाथ मंदिर से लेकर रामेश्वरम तक का पुनर्निर्माण करवा कर भारत की सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ किया। तीन सौ वर्षों बाद भी रानी अहिल्याबाई होल्कर का व्यक्तित्व हमें यह सिखाता है कि नेतृत्व शक्ति में नहीं, सेवा में है, शासन में नहीं समर्पण में है। उनका जीवन एक दीप है जो आज भी नारी शक्ति, धर्मनिष्ठा और देशभक्ति का मार्ग आलोकित कर रहा है।

जिला अध्यक्ष वेद प्रकाश पांडे ने कहा 1725 में जन्मी अहिल्याबाई को रानी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने हमेशा गरीबों और कमजोरों की मदद की और उनके साथ न्याय किया।

एमआईसी सदस्य लक्ष्मण झा ने कहा 31 मई सन 1925 में अहिल्याबाई का जन्म हुआ। सभी समाज में इनकी महती भूमिका थी। कोई भी समाज इनसे अछूता नहीं था। उन्होंने हर वर्ग, संप्रदाय और जाति के लोगों को बराबर महत्व दिया। वे किसी भी समाज के प्रति भेदभाव नहीं रखती थी। वह एक किसान परिवार से थी। उन्होंने कुशल प्रशासक के रूप में अपनी पहचान बनाई। महिलाओं के लिए वह प्रेरणा बनी और उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया।

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