18 दिसंबर को पूरी दुनिया में वैश्विक अरबी दिवस (World Arabic Language Day) मनाया जाता है। यह दिन केवल एक भाषा को याद करने का दिन नहीं है, बल्कि उस सभ्यता और परंपरा को स्वीकार करने का अवसर है जिसने सदियों तक ज्ञान, दर्शन, विज्ञान, धर्म और मानव चिंतन को दिशा दी है। संयुक्त राष्ट्र ने 18 दिसंबर 1973 को अरबी भाषा को अपनी आधिकारिक भाषाओं में शामिल किया था। इसी ऐतिहासिक फैसले की याद में यह दिवस मनाया जाता है।
यह स्पष्ट करना ज़रूरी है कि अरबी भाषा का संबंध केवल अरब देशों, वर्ल्ड मुस्लिम लीग, अरब लीग या OPEC देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि उत्तर अमेरिका, यूरोप और भारतीय उपमहाद्वीप की भाषाओं, विशेष रूप से उर्दू और अनेक क्षेत्रीय भाषाओं से इसका रिश्ता सदियों पुराना है। उर्दू और फ़ारसी की रचना में अरबी ने बुनियादी भूमिका निभाई है। धार्मिक शब्दावली हो, शैक्षिक और बौद्धिक विचार हों या सामाजिक और कानूनी भाषा-अरबी शब्द उर्दू के स्वभाव का हिस्सा बन चुके हैं। इसी तरह हिंदी, बंगाली, मलयालम, तमिल और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी अरबी के प्रभाव किसी न किसी रूप में दिखाई देते हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि अरबी एक जीवंत, गतिशील और व्यापक भाषा है।
आज के दौर में जब क्षेत्रीय भाषाएं अपनी पहचान, अस्तित्व और विकास के सवालों से जूझ रही हैं, अरबी भाषा से उनका रिश्ता और भी अहम हो जाता है। संक्षेप में कहा जाए तो अनेक क्षेत्रीय भाषाएं अरबी-उर्दू के सहारे फल-फूल रही हैं। अरबी के विकास का मतलब क्षेत्रीय भाषाओं के ज्ञान भंडार को मजबूत करना भी है, क्योंकि अनुवाद, शिक्षण और आधुनिक ज्ञान के हस्तांतरण में अरबी एक मज़बूत पुल की तरह काम कर सकती है। यदि शिक्षा नीतियों में अरबी, उर्दू और क्षेत्रीय भाषाओं को आपस में जोड़कर देखा जाए, तो न केवल भाषाई विविधता सुरक्षित रहेगी बल्कि बहुभाषी समाज में सांस्कृतिक सामंजस्य और वैचारिक एकता भी बढ़ेगी।
अरबी भाषा को यह विशेष दर्जा प्राप्त है कि वह कुरआन करीम की भाषा है, जो दुनिया के दो अरब से अधिक मुसलमानों के लिए केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि बौद्धिक और नैतिक मार्गदर्शन का स्रोत है। अरबी भाषा दो अरब से अधिक मुसलमानों की लिटर्जिकल भाषा है। बहुत से लोग अरबी पढ़ तो लेते हैं, लेकिन उसके अर्थ और भाव नहीं समझ पाते। इसलिए इसे सही तरीके से सीखने और सिखाने की ज़रूरत है। अरबी केवल धार्मिक भाषा नहीं है, बल्कि गणित, खगोल विज्ञान, चिकित्सा, रसायन और दर्शन जैसे विषयों की बुनियाद में भी इसकी अहम भूमिका रही है, जिसे इतिहास नकार नहीं सकता।
आज अरबी भाषा संयुक्त राष्ट्र (UNO) की छह आधिकारिक भाषाओं में शामिल है। इसके अलावा OPEC जैसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संगठन में अरबी केवल संवाद की भाषा नहीं, बल्कि नीतिगत और कूटनीतिक बातचीत का भी प्रमुख माध्यम है। अरब दुनिया वैश्विक अर्थव्यवस्था, ऊर्जा और भू-राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और अरबी भाषा इस पूरे तंत्र की वैचारिक नींव है।
इसी तरह वर्ल्ड मुस्लिम लीग अरबी भाषा के प्रचार-प्रसार, इस्लामी शिक्षाओं की सही व्याख्या और अंतर-धार्मिक संवाद के लिए सक्रिय है। यह संस्था दुनिया भर में इस्लाम के संतुलित संदेश, शांति, सहिष्णुता और मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए अरबी भाषा को एक प्रभावी माध्यम मानती है।
आज के समय में इस्लामोफोबिया एक वैश्विक चुनौती बनता जा रहा है। इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ फैलाए जा रहे कई गलत विचारों की बड़ी वजह इस्लाम से अनजान होना है। अरबी भाषा से दूरी, कुरआन और इस्लामी शिक्षाओं को उनके असली संदर्भ में न समझ पाने का कारण बनती है, जिसका फायदा नफरत फैलाने वाली ताकतें उठाती हैं। इसलिए ज़रूरी है कि अरबी भाषा घर-घर तक पहुंचे, लोग इसे पढ़ें, बोलें और समझें।
अगर अरबी भाषा को उसके मूल बौद्धिक, नैतिक और मानवीय संदेश के साथ समझा जाए तो यह साफ हो जाता है कि इस्लाम शांति, न्याय, मानव सम्मान और सह-अस्तित्व का पैरोकार है। इसीलिए अरबी भाषा का प्रसार वास्तव में इस्लामोफोबिया के खिलाफ एक वैचारिक संघर्ष भी है।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि अरबी भाषा लगभग 55 करोड़ लोग बोलते हैं। यह 22 देशों की आधिकारिक भाषा है और संयुक्त राष्ट्र की छह आधिकारिक भाषाओं में शामिल है। इसके बावजूद वैश्विक डिजिटल सामग्री में अरबी का हिस्सा केवल लगभग 3 प्रतिशत है, जो एक गंभीर बौद्धिक और तकनीकी असंतुलन को दर्शाता है।
अरबी सहित सभी भाषाओं का डिजिटलीकरण आज की ज़रूरत है, ताकि प्राचीन और मूल्यवान सामग्री को सुरक्षित रखा जा सके, ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा मिले और विज्ञान व तकनीक की नई खोजों को भाषा के साथ जोड़ा जा सके।
अरबी भाषा को मध्य-पूर्व में रोज़गार के अवसरों से जोड़ना भी समय की बड़ी आवश्यकता है। इसके लिए करियर काउंसलिंग, रिसर्च और डेवलपमेंट संस्थानों की स्थापना ज़रूरी है, ताकि छात्र अपनी अरबी शिक्षा को नौकरी की ज़रूरतों के अनुसार ढाल सकें। सेमिनार में यह सुझाव भी दिया गया कि तकनीकी रूप से विकसित देशों के वैज्ञानिक और तकनीकी साहित्य का अरबी में अनुवाद किया जाए और अंग्रेज़ी सहित अन्य भाषाओं की प्रचलित तकनीकी शब्दावली को अरबी में शामिल किया जाए, ताकि भाषा आधुनिक ज्ञान की मांगों के साथ आगे बढ़ सके।
भारत में अरबी भाषा की एक पुरानी और मज़बूत परंपरा मौजूद है। मदरसे, विश्वविद्यालय, सूफी साहित्य और शैक्षिक विरासत में अरबी की जड़ें गहरी हैं। लेकिन अफ़सोस की बात है कि आधुनिक शिक्षा व्यवस्था और सरकारी स्तर पर अरबी भाषा को वह स्थान नहीं मिला, जिसकी वह हक़दार है। अरबी को केवल धार्मिक भाषा मानकर सीमित करना सरासर अन्याय है। हर राज्य में अरबी विश्वविद्यालय या कॉलेज होना चाहिए।
वैश्विक अरबी दिवस हमें यह संदेश देता है कि भाषाएं केवल संवाद का माध्यम नहीं होतीं, बल्कि सभ्यताओं के बीच पुल का काम करती हैं। अरबी भाषा का सम्मान वास्तव में ज्ञान, इतिहास, संवाद और विविधता का सम्मान है। आज जब दुनिया नफरत, भेदभाव और गलतफहमियों से जूझ रही है. अरबी भाषा अपने भीतर शांति और गहरी सोच का संदेश समेटे हुए है।