करीम
दंतेवाडा , 24 सितम्बर. यह छत्तीसगढ़ वासियों के लिए गौरव की बात है कि विश्व की दूसरी सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा छत्तीसगढ़ के बारसूर में है। पौराणिक कथा के अनुसार दानवेंद्र बाणासूर की पुत्री उषा और उनके मंत्री कुभांड की कन्या चित्रलेखा अंतरंग सखियां थीं। इन दोनों के आराध्य भगवान गणेश थे। इसकी पूजा के लिए ही बाणासूर ने गणेश की दो पाषाण प्रतिमाएं एक ही स्थान पर स्थापित करवाई थी। इन प्रतिमाओं का संरक्षण 11वीं शताब्दी के पूर्व के शासक करते रहे हैं। इस प्रतिमा को विश्व की दूसरी सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा होने का गौरव प्राप्त है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसे संरक्षित कर रखा है। वरिष्ट पत्रकार हेमंत कश्यप ने बताया कि इससे बड़ी गणेश प्रतिमा हंपी (कर्नाटक) में स्थित है। जो भी पर्यटक बारसूर आता है। गणेश जी की अमूल्य प्रतिमा को देख अचंभित रह जाता है। यह एक दंती प्रतिमा है। बड़ी प्रतिमा की ऊंचाई 7 फीट से अधिक है, वहीं छोटी प्रतिमा की ऊंचाई 5 फीट 5 इंच है। गणेश मंदिर परिसर में शिव मंदिर के भग्नावशेष बिखरे पड़े हैं। बताया गया कि शिव मंदिर का पुन:निर्माण बिखरे पत्थरों से ही किया जाना है इसलिए पत्थरों को एकत्र कर रखा गया है।