जगदलपुर, 08 अगस्त एक समय था जब जगदलपुर विकासखंड के बीजापुट गांव की निवासी श्रीमती चंपा बघेल आर्थिक तंगी से जूझ रही थीं। लेकिन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और जीवन ज्योति समूह से जुड़ने के बाद उनकी जिंदगी ने एक नई दिशा ले ली है। उनकी यह प्रेरणादायक यात्रा अब गांव की अन्य महिलाओं के लिए भी आत्मनिर्भरता की राह दिखा रही है।
चंपा ने इंटीग्रेटेड फार्मिंग क्लस्टर योजना का लाभ उठाते हुए अपनी बाड़ी में जैविक खेती शुरू की। उन्होंने करेला, कुंदरु, बरबट्टी, टमाटर और तरोई जैसी सब्जियों की खेती पर ध्यान केंद्रित किया। कृषि सखी के कुशल मार्गदर्शन में उन्होंने आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाया, जिसका परिणाम उत्कृष्ट उत्पादन के रूप में सामने आया।
आज चंपा हर सप्ताह 2 से 3 हजार रुपए की कमाई कर रही हैं। चम्पा बताती हैं कि वे अपनी ताजी साग‘-सब्जी स्थानीय बाजार में बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण में मदद देने के साथ ही परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही हैं।
रोशनी संकुल संगठन माड़पाल से जुड़ी जीवन ज्योति समूह की दीदियों ने बताया कि वे संकुल संगठन के जरिए इस आत्मनिर्भरता की मुहिम को गांव-गांव तक पहुंचाया है, जिससे कई महिलाओं की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। चंपा ने संकुल पदाधिकारियों और कैडर दीदियों का हृदय से आभार व्यक्त किया है और गांव की अन्य महिलाओं को भी इस सफल योजना से जुड़ने के लिए प्रेरित किया है।
चंपा की यह कहानी इस बात का जीवंत प्रमाण है कि सही मार्गदर्शन और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर ग्रामीण महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बन सकती हैं, बल्कि अपने परिवार की आर्थिक रीढ़ भी बन सकती हैं। उनका यह संघर्ष से सफलता तक का सफर आज हर महिला के लिए एक सच्ची प्रेरणा है।
संघर्ष से सफलता तक-चंपा दीदी की प्रेरक कहानी, बनी ग्रामीण महिलाओं के लिए मिसाल
