फिर जागा बोधघाट परियोजना का जिन्न, होगी मनोकामना पूरी

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जनता को फायदा हुआ कि नहीं मगर क्रडिट लेने की होड़ में दोनों सरकार एक दूसरे से कम नहीं

जगदलपुर / बस्तर वासियों के लिए खुशी की बात है कि बोधघाट परियोजना का जिन्न फिर जाग रहा है । बस्तर वासियों की मनोकामनाएं फिर दोगुनी रफ्तार से पूरी होगी। आपको याद होगा तत्कालीन भूपेश सरकार में 2020 के दरम्यान इसे लेकर वही बड़ी -बड़ी बातें हुई थी । इस साल के परियोजना में जो प्रावधान हैं उसमें थोड़े बहुत बदलाव किए गए हैं और उसमें जनता और बहुत लाभ होने की बात भी है जो पहले भी थी । जनता को फायदा हुआ कि नहीं मगर क्रडिट लेने की होड़ में दोनों सरकार एक दूसरे से कम नहीं है।

अलबत्ता खबर को काफी तवज्जो दी जा रही है कि छग के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना और इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना के राष्ट्रीय परियोजना के रूप में निर्माण के संबंध में विस्तार से चर्चा की है । मोराराजीभाई देसाई ने इस परियोजना का शिलान्यांस किया था वे हमारे देश के चौथे प्रधानमंत्री थे। आप कल्पना कर लीजिए बोधघाट को लेकर सरकारें कितनी गंभीर हैं। अच्छी बात तो यह है कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस परियोजना के प्रति दिलचस्पी दिखाई है।


हाल ही में छग के मुख्यमंत्री विष्णदेव साय ने चर्चा में यह कहा  है कि संभाग में सिंचाई साधनों की समस्या को दूर करने और चहुमुखी विकास को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना और इंद्रावती-महानदी लिंक परियोजना पर काम कर रही है।
बारसूर लौट कर आए लोगों को पता होगा बोधघाट परियोजना के अवशेष आज भी वहां देखने को मिल जाते हैं जो तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई कार्यकाल में शुरू हुई थी। और अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में यह बात उनके जहन में डाली जा रही है ताकि इस परियोजना पर विचार हो सके।

देसाई सरकार में यह परियोजना 475 करोड़ रूपये की लागत की थी और इस परियोजना में 124 मेगावाट की चार बिजली यूनिट बनाने का सरकार का इरादा था।

यहाँ 90 मीटर का ऊँचा बांध भी बनने जा रहा था। जो आज सात धार के नाम से मशहूर है। इसकी तैयारियाँ हो चुकी थी । ढांचे तैयार किए जा रहे थे । परियोजना हेतु लंबी सुरंगों के अलावा सैकड़ों आवास और पक्की-चौाड़ी सड़कों का निर्माण किया गया था जिसके कबाड़ आज देखने को मिलेगें। बहरहाल नए सपने बुनने के लिए वर्तमान प्रदेश सरकार के के पास बड़ी वजहें हैं जो ध्यान देने योग्य है।

नए सपने बुनने को तैयार 
बस्तर के विकास की रफ्तार होगी डबल जो प्राय मूल उद्देश्य किसी भी परियोजना को होता है। सरकार के मुताबिक यह परियोजना अगर शुरू होती है तो संभाग में सिंचाई साधनों का दायरा बढ़ने के साथ ही बस्तर के विकास को डबल रफ्तार मिलेगी। इस परियोजना से 125 मेगावाट का विद्युत् उत्पादन, 4824 टन वार्षिक मत्स्य उत्पादन जैसे अतिरिक्त रोजगार, खरीफ एवं रबी मिलाकर 3,78,475 हेक्टेयर में सिंचाई विस्तार एवं 49 मि.घ.मी पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगा। वही इंद्रावती- महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना से कांकेर जिले की भी 50,000 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सहित कुल 3,00,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। बस्तर को विकसित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में दोनों परियोजना एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

क्या है बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना ?
बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना, गोदावरी नदी की बड़ी सहायक इन्द्रावती नदी पर प्रस्तावित है। राज्य में इन्द्रावती नदी कुल 264 कि. मी. में प्रवाहित होती है। यह परियोजना दंतेवाड़ा जिले के विकासखंड एवं तहसील गीदम के ग्राम बारसूर से लगभग 8 कि.मी. एवं जगदलपुर शहर से लगभग 100 कि. मी. दूरी पर प्रस्तावित है।
परियोजना की विशेषताएं
दोनों परियोजनाओं की अनुमानित लागत 49000 करोड़ रूपए है। जिसमें इंद्रावती-महानदी लिंक परियोजना की लागत लगभग 20 हजार करोड़ रूपए एवं बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना में लगभग 29 हजार करोड़ रुपए की लागत संभावित है। जिसमें हाइड्रोपावर इलेक्ट्रोमैकेनिकल कार्य, सिविल कार्य (सिंचाई) भी शामिल हैं। इस परियोजना में उपयोगी जल भराव क्षमता 2009 मि.घ.मी, कुल जल भराव क्षमता 2727 मि.घ.मी, पूर्ण जल भराव स्तर पर सतह का क्षेत्रफल 10440 हेक्टेयर सम्भावित है।
इन जिलों का होगा लाभ

सबसे अहम बात यह है कि इस परियोजना से दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा जिले के 269 गांवों को बड़ा लाभ होगा। जबकि इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना से कांकेर जिले के अनेकों गांवों में सिंचाई सुविधा का विस्तार हो सकेगा। बस्तर संभाग को विकसित, आत्मनिर्भर और सक्षम बनाने की दिशा में दोनों परियोजना एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
उम्मीद है 2047 तक सबकुछ हो जाए।

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