
जगदलपुर, बस्तर ओलंपिक्स 2025 पूरे इलाके में एक बड़ा बदलाव ला रहा है, क्योंकि सरेंडर किए हुए नक्सली सेंट्रल इंडिया के सबसे बड़े खेल आयोजन में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे हैं। पहली बार, बड़ी संख्या में ऐसे युवा जो कभी घने जंगलों में रहते हुए नक्सल संगठन से जुड़े थे वे सभी आत्मसमर्पण के बाद अब बस्तर ओलम्पिक 2025 में खेल मुकाबले के लिए अपने को तैयार कर रहें हैं। उनकी भागीदारी इस साल के इवेंट की सबसे खास बातों में से एक बनकर उभरी है। यह हकीकत बस्तर के शांति, पुनर्वास और मुख्यधारा में शामिल होने का इतिहास रचने जा रही हैै।
जगदलपुर में 11 से 13 दिसंबर तक संभाग स्तरीय मुकाबले होने हैं, और यह आयोजन न सिर्फ अपनी खेल भावना कह रहा है बल्कि बदलाव की दिशा में लोगों का ध्यान खींच रहा है।
नारायणपुर जिले के लगभग 60 आत्मसमर्पित नक्सली इस समय बस्तर ओलम्पिक 20225 में रस्साकशी, तीरंदाजी, वॉलीबॉल, दौड़ और कई पारंपरिक खेलों के लिए स्वय को तैयार कर रहें हैं। नारायणपुर के लाइवलीहुड कॉलेज में पुनर्वास कार्यक्रमों में शामिल ये युवा – जो कभी अबूझमाड़ के मुश्किल इलाकों में काम करते थे – अब खिलाड़ी के तौर पर एक बिल्कुल नई भूमिका में कदम रख रहे हैं।
ट्रेनिंग प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कई प्रतिभागियों में स्वाभाविक स्टेमिना, अनुशासन और सहनशक्ति है – ये गुण अब खेलों में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। उनकी रोज़ की दिनचर्या प्रोफेशनल एथलीटों जैसी है, जिसमें तय ट्रेनिंग शेड्यूल और फोकस्ड तैयारी शामिल है।
बदलाव साफ दिख रहा है। जहां पहले उनके चेहरों पर झिझक और डर दिखता था, वहीं आज आत्मविश्वास, उत्साह और दृढ़ संकल्प है। प्रशासन का कहना है ं कि खेलकूद पर आधारित पुर्नवास मॉडल बहुत असरदार साबित हो रहा है, जिससे इन युवाओं को अपनी पहचान फिर से बनाने और आगे बढ़ने रास्ता तैयार कर रही है।
बस्तर ओलंपिक्स 20225 में उनकी भागीदारी को उम्मीद की किरण के तौर पर देखा जा सकता है
जहां इस साल सरेंडर किए हुए नक्सलियों की भागीदारी सुर्खियां बटोर रही है, वहीं दृढ़ संकल्प की एक और कहानी भी साथ-साथ सामने आ रही है। ’’रबीना पोटाई’’ के नेतृत्व में नारायणपुर की जूनियर लड़कियों की खो-खो टीम ने शानदार जिला-स्तरीय प्रदर्शन के बाद संभाग स्तरीय चौंपियनशिप के लिए क्वालीफाई कर लिया है। अबूझमाड़-ओरछा के अलग-थलग इलाके से आने वाली रबीना और उनकी टीम ने सीमित संसाधनों और लंबे समय से मौके न मिलने के बावजूद इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कई मुश्किलों का सामना किया है।
रबीना कहती है “पहले हमारे पास कोई सही ट्रेनिंग सुविधा या मौके नहीं थे, इसलिए हमारा टैलेंट छिपा रहा। इस तरह के कॉम्पिटिशन ने हमें खुद को साबित करने का मौका दिया है,” उन्होंने कहा।
उनकी टीम की साथी – सलोनी कोवाची, सुंदरी पोटाई, रोशनी कुमेटी, सरिता, सरिता मंडावी, शिवानी कचलम, अंजू रावल, कविता पड्डा, ममता वड्डे, मनीषा पोटाई और सुनीता उसेंडी – ने अथक मेहनत की है और नारायणपुर के लिए टॉप पोजीशन हासिल करने की उम्मीद है।
उनकी यह उपलब्धि बस्तर के दूरदराज के इलाकों में पनप रही खेल प्रतिभा को दिखाती है, जो पहचान मिलने के मौकों का इंतजार कर रही है।
इस इवेंट की तैयारी में, नारायणपुर पुलिस ने खेल और युवा कल्याण विभाग, नवा रायपुर को प्रतिभागियों की आधिकारिक सूची सौंपी है। इस साल की सूची की एक खास बात यह है कि इसमें सरेंडर करने वाले कई नक्सली युवा – पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हैं – जो पहली बार किसी मुख्यधारा के खेल इवेंट में हिस्सा लेंगे।
अधिकारियों का कहना है कि यह बदलाव खेलों के माध्यम से पुनर्वास में बढ़ते विश्वास को दिखाता है, जिससे इन युवाओं को अनुशासन, टीम वर्क और आत्मविश्वास पर आधारित एक नई पहचान मिल रही है।