बस्तर को चाहिए शिक्षा, रोजगार और जल — नहीं चाहिए सिंदूर और दिखावा : हेमराज बघेल

जगदलपुर , 01 जून . बस्तर जनपद पंचायत सदस्य हेमराज बघेल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि बस्तर को शिक्षा जल और रोजगार की जरूरत है ना की सिंदूर  उपमुख्यमंत्री की। उन्होंने बताया कि  बकावंड स्थित वन परिक्षेत्र कार्यालय परिसर में संचालित काजू प्रोसेसिंग प्लांट पर पिछले छह माह से ताला लटका हुआ है, जिससे वहां कार्यरत करीब डेढ़ सौ आदिवासी महिला मजदूर रोजगार से वंचित हो गई हैं। वर्ष 2013 से संचालित यह प्लांट राज्य सरकार की खरीदी नीति के कारण ठप पड़ा है, जिससे आदिवासी महिलाओं की आजीविका पर संकट गहराता जा रहा है। प्रोसेसिंग प्लांट को चलाने के लिए आवश्यक काजू गुठली का सरकारी मूल्य 115 से 120 रुपये प्रति किलो निर्धारित है, जबकि वर्तमान में बाजार मूल्य 138 से 150 रुपये तक पहुंच गया है। इस मूल्य अंतर के चलते समितियाँ बाजार से कच्चा माल खरीदने में असमर्थ हैं।

नतीजा – कच्चे माल की अनुपलब्धता के कारण मशीनें जंग खा रही हैं और महिला मजदूर काम के इंतजार में बैठी हैं।महिला समूह की गुहार बेअसर इस संबंध में प्लांट संचालित करने वाली मां धारणीकरिन महिला स्व सहायता समूह, बकावंड की महिलाओं ने कई बार वन विभाग के अधिकारियों से मिलकर काजू की उपलब्धता सुनिश्चित करने और खरीदी नीति में बदलाव की मांग की, परंतु अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई। महिलाओं का कहना है कि जब तक खरीदी नीति को बाजार के अनुरूप नहीं बनाया जाता, तब तक यह संकट बना रहेगा। छत्तीसगढ़ सरकार पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने प्रेस नोट जारी कर कहा, “बस्तर को सिंदूर नहीं, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और स्वच्छ जल चाहिए।” उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार धार्मिक और प्रतीकात्मक मुद्दों को प्रमुखता देकर वास्तविक समस्याओं से ध्यान भटका रही है। बस्तर के कई गांवों में आज भी लोग पीने के पानी के लिए मीलों पैदल चलते हैं। ‘हर घर नल-जल योजना’ केवल कागजों पर चल रही है – कहीं नल ही नहीं हैं, और जहां हैं, वहां पानी नहीं आता या पीने योग्य नहीं है।

उन्होंने सरकार से मांग की कि इस योजना की जमीनी समीक्षा कर कड़ाई से अमल कराया जाए। बस्तर के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है, बच्चों के पास किताबें नहीं हैं और 57,000 शिक्षकों की भर्ती अधर में लटकी है। युवाओं को रोजगार नहीं मिलने से पलायन की स्थिति उत्पन्न हो रही है। उन्होंने मांग की कि स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण दिया जाए और लघु उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए।
छत्तीसगढ़ में दो-दो उपमुख्यमंत्री बनाए जाने को हेमराज बघेल ने ‘अनावश्यक और अपव्ययी’ करार दिया। उन्होंने कहा कि जब शिक्षक और स्कूलों का युक्तियुक्तकरण संभव है, तो मंत्रियों का क्यों नहीं? उन्होंने सुझाव दिया कि उपमुख्यमंत्रियों के विभाग मुख्यमंत्री में मर्ज कर जनता के पैसों पर हो रहे व्यय को रोका जाए।

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