जगदलपुर, 17 अक्टूबर । बस्तर में शुक्रवार का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। आज बस्तर ने दशकों से चले आ रहे लाल आतंक से मुक्ति की दिशा में सबसे बड़ी छलांग लगाई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की मौजूदगी में अबुझमाड़ क्षेत्र के 208 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। समर्पण करने वालों में 110 महिलाएं और 98 पुरुष नक्सली शामिल हैं। इन नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के सामने 153 हथियार और भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री सौंपी। जिनमें 3 इंसास रायफल, 7 एसएलआर, 2 थ्री-नॉट-थ्री रायफल, 5 देशी बंदूकें, 1 कार्बाइन, 3 पिस्टल, 100 से अधिक डेटोनेटर और सैकड़ों कारतूस शामिल हैं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस अवसर पर कहा बड़ा दुःख होता है,मारने वाले भी अपने लोग होते हैं और मरने वाले भी अपने। इसलिए हमने निर्णय लिया कि इसका समाधान होना चाहिए। इसे देखते हुए हमने पुनर्वास नीति बनाई। आज का दिन ऐतिहासिक है, जब इतने बड़े पैमाने पर नक्सलियों ने मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है।राज्य सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए विशेष योजना की घोषणा की है। इसके तहत शहरी क्षेत्रों में चार डिसमिल और ग्रामीण इलाकों में एक एकड़ तक भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी। साथ ही तीन वर्षों तक आर्थिक सहायता भी दी जाएगी ताकि वे समाज में पुनः सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें।उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा आज बस्तर लाल आतंक की मुक्ति की ओर अग्रसर हो चुका है। यह आत्मसमर्पण बस्तर की शांति और विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।अबुझमाड़ के घने जंगलों से निकलकर मुख्यधारा में लौटने वाले इन नक्सलियों ने यह साबित कर दिया है कि बंदूक से नहीं, विकास और संवाद से बस्तर का भविष्य सुरक्षित होगा। आज का यह आत्मसमर्पण बस्तर में शांति और विश्वास की नई सुबह का प्रतीक बन गया है।
बस्तर लाल आतंक की मुक्ति की ओर — मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय
