संविदा शिक्षकों की वेदना; न सम्मानजनक वेतन और न स्थायित्व की गारंटी
= भूमिका ने उजागर किया ज्ञान का उजाला फैलाने वालों के स्याह पक्ष को जगदलपुर। शिक्षा के विराट मंदिर में संविदा शिक्षक किसी दीपक की भांति टिमटिमा रहे हैं। वे ज्ञान का आलोक तो बांटते हैं, लेकिन उनका अपना ही जीवन अंधकारमय है। यह कैसी विडंबना है कि जो समाज के भविष्य को संवारते हैं,…