3 माह से एक शिक्षक गायब, अब तक नहीं हुई नियुक्ति

सुकमा, 03 अगस्त . सुकमा जिले में नक्सली दहसत के नाम से बच्चों से शिक्षा के अधिकार से वन वंचित किया जा रहा है एक शिक्षक ऑफिस के कार्य से रहना पड़ता है ज़्यादा तर बहार आपको बता दे कि सुकमा जिले के छिंदगढ़ ब्लॉक अंतर्गत संचालित संयुक्त बालक आश्रम गुम्मा में शिक्षा व्यवस्था बदहाल है। यहां प्राथमिक स्तर पर अध्ययनरत 148 बच्चों की पढ़ाई और छात्रावास का संचालन मात्र एक शिक्षक के भरोसे हो रहा है। स्थिति इतनी गंभीर है कि बच्चों को न पर्याप्त पढ़ाई मिल पा रही है, न ही समय पर मार्गदर्शन ।स्थानीय ग्राम पंचायत गुम्मा और पालकों ने इस संबंध में कई बार विकासखंड शिक्षा अधिकारी से अतिरिक्त शिक्षकों की मांग की लेकिन अब तक कोई व्यवस्था नहीं हो सकी है। शनिवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव दुर्गेश राय सरपंच बिमला नाग और अन्य जनप्रतिनिधियों ने आश्रम का निरीक्षणकिया और हालात का जायजा लिया।आश्रम अधीक्षक ने जानकारी दी कियुक्तियुक्तकरण बना मजाक, कागजों तक सीमित रहा असर महासचिव दुर्गेश राय ने बताया कि राज्य सरकार ने शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया लागू की थी, लेकिन सुकमा जैसे नक्सल प्रभावित और पिछड़े जिले में यह व्यवस्था सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई स्कूल आज भी एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, जो शिक्षा की गुणवत्ता को सीधे प्रभावित कर रहे हैं। गुम्मा आश्रम में 148 बच्चों के लिए कम से कम पांच शिक्षकों की आवश्यकता है, जबकि यहां केवल एक ही शिक्षक कार्यरत है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की, तो स्थानीय ग्रामीण, पालक और जनप्रतिनिधि मिलकर जिला कलेक्टर कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन करेंगे।
सरपंच बिमला नाग ने भी जताई नाराजगी
आश्रम में पदस्थ एक अन्य शिक्षक पिछले तीन माह से बिना अनुमति के अनुपस्थित है। ऐसे में विभागीय ग्राम पंचायत की सरपंच बिमला नाग पत्राचार, प्रशासनिक कार्यों के साथ- साथ बच्चों की पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी एक ही शिक्षक निभा रहा है। 148 बच्चों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा है, जिससे बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
ने कहा कि एक शिक्षक से सभी कार्य कराए जा रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है, जिससे अभिभावकों में गहरी नाराजगी है। पंचायत द्वारा शिक्षक की मांग पहले भी की गई है, लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया। करीम

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