जगदलपुर 21 दिसंबर पल्स पोलियो अभियान के तहत 21 दिसंबर को नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ इलाके में अत्यंत दूरस्थ और दुर्गम गांवों तक स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने पहुँचकर यह साबित कर दिया कि एक भी बच्चा पोलियो की दवा से वंचित नहीं रहेगा। कठिन रास्तों, लंबी दूरी और सीमित संसाधनों के बावजूद स्वास्थ्य कर्मियों ने अभियान को सफलतापूर्वक पूरा किया।स्वास्थ्य टीमों ने जिला मुख्यालय से 110 किलोमीटर दूर बड़े कोट और 100 किलोमीटर दूर छोटे कोट जैसे गांवों तक पहुँच बनाई। इन गांवों में केवल दो-दो बच्चे थे, जिन्हें पोलियो ड्रॉप्स पिलाने दस्ता पहुँचा। यह दर्शाता है कि अभियान में किसी भी बच्चे को नहीं छोड़ा गया। कुछ दूरी पर वाहन के बाद पैदल सफर तय कर लक्ष्य हासिल किया गया ।
जिले में कुल 236 गांव हैं, जहां आयोजित पल्स पोलियो अभियान के दौरान 210 बूथों के माध्यम से 5,272 बच्चों को पोलियो ड्रॉप्स पिलाई गई। अभियान के दौरान पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों को दवा दी गई।
चिकित्सा अधिकारी डॉ. बी.एन. बनपुरिया ने बताया कि इस बार अभियान में बड़ा बदलाव देखने को मिला। पहले जिन अंदरूनी इलाकों में जाने के लिए सुरक्षा बलों की जरूरत पड़ती थी, वहां इस बार स्वास्थ्य टीम बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के पहुँची। पहले इन गांवों में दो दिन पहले जाना पड़ता था, लेकिन अब सड़क संपर्क बेहतर होने और हालात में सुधार के कारण यह संभव हो सका। अभियान में 94 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया गया।
कई गांवों में बच्चों की संख्या कम होने के बावजूद स्वास्थ्य कर्मियों ने लंबी और कठिन यात्रा की। कहीं वाहन से, तो कहीं कई किलोमीटर पैदल चलकर टीम गांवों तक पहुँची।
मारकुंड में 7 बच्चों के लिए 50 किलोमीटर,
ओरछाकोड़ी में 5 बच्चों के लिए 48 किलोमीटर,
मुतनाड़ी में 9 बच्चों,
बालाबेड़ा में 6 बच्चों के लिए 55 किलोमीटर,
परियाड़ी में 4 बच्चों के लिए 60 किलोमीटर,
कोरसा कोड़ो में सिर्फ 2 बच्चों के लिए 170 किलोमीटर और
काहुर गांव में 4 बच्चों के लिए 155 किलोमीटर का सफर वाहनों से बाकी पैदल किया गया. सफर के दौरान नदी पहाड़ों को लांघकर दल दूरस्थ गावों में पहुचा .
इसी तरह ककनार, आमोकाल, तोड़ागुढ़, मुतल टोड़ा, रसमेटा, रावनाड़ी और नेपा जैसे 100 से 130 किलोमीटर से अधिक दूरी वाले गांवों में भी स्वास्थ्य टीम पहुँची।
अभियान के दौरान गांवों में खुशी और उत्साह का माहौल देखने को मिला। ग्रामीणों ने स्वास्थ्य कर्मियों का सहयोग किया और बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने में सक्रिय भूमिका निभाई। कठिन परिस्थितियों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की मेहनत से पल्स पोलियो अभियान जिले में सफल रहा।
जिले में कुल 236 गांव हैं, जहां आयोजित पल्स पोलियो अभियान के दौरान 210 बूथों के माध्यम से 5,272 बच्चों को पोलियो ड्रॉप्स पिलाई गई। अभियान के दौरान पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों को दवा दी गई।
चिकित्सा अधिकारी डॉ. बी.एन. बनपुरिया ने बताया कि इस बार अभियान में बड़ा बदलाव देखने को मिला। पहले जिन अंदरूनी इलाकों में जाने के लिए सुरक्षा बलों की जरूरत पड़ती थी, वहां इस बार स्वास्थ्य टीम बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के पहुँची। पहले इन गांवों में दो दिन पहले जाना पड़ता था, लेकिन अब सड़क संपर्क बेहतर होने और हालात में सुधार के कारण यह संभव हो सका। अभियान में 94 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया गया।
कई गांवों में बच्चों की संख्या कम होने के बावजूद स्वास्थ्य कर्मियों ने लंबी और कठिन यात्रा की। कहीं वाहन से, तो कहीं कई किलोमीटर पैदल चलकर टीम गांवों तक पहुँची।
मारकुंड में 7 बच्चों के लिए 50 किलोमीटर,
ओरछाकोड़ी में 5 बच्चों के लिए 48 किलोमीटर,
मुतनाड़ी में 9 बच्चों,
बालाबेड़ा में 6 बच्चों के लिए 55 किलोमीटर,
परियाड़ी में 4 बच्चों के लिए 60 किलोमीटर,
कोरसा कोड़ो में सिर्फ 2 बच्चों के लिए 170 किलोमीटर और
काहुर गांव में 4 बच्चों के लिए 155 किलोमीटर का सफर वाहनों से बाकी पैदल किया गया. सफर के दौरान नदी पहाड़ों को लांघकर दल दूरस्थ गावों में पहुचा .
इसी तरह ककनार, आमोकाल, तोड़ागुढ़, मुतल टोड़ा, रसमेटा, रावनाड़ी और नेपा जैसे 100 से 130 किलोमीटर से अधिक दूरी वाले गांवों में भी स्वास्थ्य टीम पहुँची।
अभियान के दौरान गांवों में खुशी और उत्साह का माहौल देखने को मिला। ग्रामीणों ने स्वास्थ्य कर्मियों का सहयोग किया और बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने में सक्रिय भूमिका निभाई। कठिन परिस्थितियों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की मेहनत से पल्स पोलियो अभियान जिले में सफल रहा।