जगदलपुर, 10 दिसम्बर । जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध कांगैर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में आयोजित तीन दिवसीय बटरफ्लाई मीट में शामिल होने देश के विभिन्न क्षेत्रों से 50 से अधिक छात्र, विशेषज्ञ, प्रकृति व वन्यजीव प्रेमी पहुंचे हैं। लगभग दो सौ वर्ग किमी में विस्तारित कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में तितलियों की विविधता पर व्यापक वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया गया।

कांगेर घाटी के संचालक नवीन कुमार ने बताया कि बटरफ्लाई मीट कांगेर घाटी की जैव-विविधता के संरक्षण और दस्तावेजीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल -मानी जा रही है। इससे न केवल तितली संरक्षण को नई गति मिलेगी, बल्कि युवा को प्रकृति अध्ययन का मूल्यवान अनुभव भी प्राप्त होगा। बता दें कि इस राष्ट्रीय उद्यान में 50 से अधिक प्रजाति की तितलियां पाई गई हैं। रंग-बिरंगी तितलियां पर्यटकों और प्रकृति एवं वन्यजीव प्रेमियों को रोमांचित करती हैं।
उन्होंने बताया कि कांगेर वैली नेशनल पार्क में पहली बटरफ्लाई मीट 5 से 7 दिसंबर तक कोटमसर और कोलेंग रेंज के साफ-सुथरे नजारों में हुई। इस इवेंट में 16 ट्रेल्स शामिल थे और इसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और कई दूसरे राज्यों से लगभग 50 पार्टिसिपेंट्स शामिल हुए।
प्रोग्राम की शुरुआत कांगेर वैली नेशनल पार्क के डायरेक्टर के उद्घाटन भाषण से हुई, जिन्होंने इवेंट को फॉर्मली ओपन किया। इस मौके पर कांगेर वैली की तितलियों पर एक नई तैयार फील्ड गाइडबुक भी रिलीज की गई। शाम को लोकल धुरवा ट्राइब के एक जबरदस्त कल्चरल परफॉर्मेंस ने और भी मजेदार बना दिया, जिससे पार्टिसिपेंट्स को इलाके की देसी परंपराओं का एक गहरा अनुभव मिला। डिनर के बाद, पार्टिसिपेंट्स अपने-अपने कैंप में चले गए।
6 और 7 दिसंबर को, तीन ट्रेल्स किए गए, जिसके दौरान पार्टिसिपेंट्स ने 120 से ज्यादा बटरफ्लाई स्पीशीज को डॉक्यूमेंट किया। खास ऑब्जर्वेशन में दो स्पीशीज शामिल थीं जिन्हें कांगेर वैली में पहली बार रिकॉर्ड किया गया थारू टेल्ड पामफ्लाई और सफ्यूज्ड स्नो फ्लैट। दूसरी खास जगहों में कॉमन जेम, पेल ग्रीन ऑलेट, कॉमन क्वेकर, ब्लू मॉर्मन, यमफ्लाई, फ्लफी टिट, ट्री फ्लिटर, और भी बहुत कुछ शामिल थे।