अबूझमाड़ में लोकतंत्र की दस्तक: जहाँ नक्शे खत्म होते हैं, वहाँ पहुँचे BLO

बस्तर –  30 नवम्बर – छत्तीसगढ़ के सबसे कठिन इलाकों में गिने जाने वाले अबूझमाड़ और उससे सटे बस्तर,बीजापुर ,दंतेवाडा,नारायणपुर के गहन जंगल इन दिनों एक अनोखे बदलाव के साक्षी बन रहे हैं। यहाँ न सड़कें हैं, न मोबाइल नेटवर्क, न स्कूल भवन… लेकिन लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया पूरे जोश के साथ इन अतिदुर्गम पहाड़ी रास्तों से होकर गुजर रही है।भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान ने इन इलाकों में ऐसा बदलाव लाया है, जिसकी कल्पना भी कुछ वर्ष पहले संभव नहीं थी।यह वह बस्तर है, जिसकी तस्वीरें दुनिया भर में नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में दिखती रही हैं

 लेकिन अब यहाँ एक नई तस्वीर उभर रही है।तस्वीर उन बीएलओ की है, जो नदी-नाले पार करते हुए, 10–12 किमी पैदल पहाड़ चढ़कर, पगडंडियों से गुजरकर उन घरों तक पहुँच रहे हैं, जहाँ आज तक कोई सरकारी गिनती या सर्वेक्षण नहीं पहुंच पाया था।बीएलओ संतोष नेताम ने अपनी मोटरसाइकिल सुरक्षित जगह छोड़ी, और फिर 10 किलोमीटर पहाड़ियों व गहरे जंगलों को पार कर पैदल गाँव पहुँचे। वहाँ 200 मतदाता दर्ज थे, लेकिन उनमें से आधे से अधिक का देहांत हो चुका था। इन सभी नामों को काटकर नए मतदाताओं को सूची में शामिल किया गया।इसी तरह बीजापुर नारायणपुर सीमा से सटे गट्टापाल में सोहनलाल यादव ने 8 किलोमीटर पैदल सफर कर 30 मतदाताओं का सत्यापन पूरा किया यहाँ कुल 7 घर है। गावं में स्कूल भवन, आंगनबाड़ी नहीं हैघोटुल’ में ही पढ़ाई का एक विकल्प। पास ही मिर्चीबेडा गावं है

 जो महाराष्ट्र सीमा से लगी है यहाँ के 20 परिवार पलायन कर चुके हैं, पर मतदाता सूची में अब भी दर्ज हैं। ऐसे लोगों से वापस आने और प्रक्रिया में शामिल होने की अपील की जा रही है। आदेड़ गावं के BLO संतोष नेताम ने अपनी मोटरसाइकिल सुरक्षित स्थान पर खड़ी की और फिर 10 किलोमीटर पैदल, पहाड़ों और घने जंगलों को पार कर गाँव पहुँचे।यहाँ 200 मतदाता दर्ज थे, लेकिन BLO के पहुँचने पर पता चला कि आधे से अधिक लोगों का निधन हो चुका है।सभी मृत मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए और नए पात्र मतदाताओं को जोड़ा गया।यह इलाका वर्षों से नक्सल प्रभाव में होने के कारण कभी किसी सरकारी गिनती में शामिल नहीं हुआ था । हितवाया गाँव में BLO अशोक उसेंडी 12 किमी पैदल, नदी पार कर पहुँचे गाँव में कुल 7 घर और 21 जीवित मतदाता मिले।यह इलाका पूरी तरह पहाड़ी और बिना सड़क का है शासन की योजनाएँ यहाँ कागज पर ही रह जाती थीं। जाटलूर में BLO चंदूराम गोटा 55 घर, 255 मतदाता का पुनरीक्षण पूरा किया । नारायणपुर कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगाई का कहना है की जिले में blo को अच्छा रिस्पोंस मिल रहा है इलाके से नक्सलवाद की कमी होने से BLOs को सुरक्षा देने की आव्श्ताकता नही पढ़ रही है अबूझमाड़ में शत प्रतिशत सत्यापन हो चूका है।नारायणपुर जिले में 92,637 पंजीकृत मतदाताओं के बीच बीएलओ अब तक 47.02% गणना पत्रक प्राप्त कर चुके हैं और उनका डिजिटाइजेशन पूर्ण हो चुका है। वर्ष 2025 की मतदाता सूची का मिलान वर्ष 2003 के रिकॉर्ड से किया जा रहा है — यह प्रक्रिया अपने आप में देश की सबसे कठिन निर्वाचन कवायदों में से एक मानी जा रही है।11 दिसंबर को प्रारंभिक सूची प्रकाशित होगी, जिसके बाद 8 जनवरी 2026 तक दावे-आपत्तियाँ ली जाएंगी। अंतिम सूची 7 फरवरी को जारी होगी। सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि इन इलाकों में जहाँ कभी ग्रामीण सरकारी कर्मचारियों को देखकर डरते थे, आज BLO का स्वागत कर रहे हैं। लोग कह रहे हैं ग्रामीण भी चाहते है की सड़क चाहिए, बिजली-पानी चाहिए, विकास चाहिए… हम सरकार के साथ खड़े हैं। नक्सलवाद की कमर टूटने के साथ ही लोकतंत्र की पहुँच वहाँ तक बढ़ी है जहाँ पहले कदम रखना भी असंभव माना जाता था। अबूझमाड़ के जंगलों में BLO की यह पदयात्रा केवल प्रशासनिक उपलब्धि नहीं यह दुनिया के सबसे कठिन भूभाग में लोकतंत्र का पुनर्जागरण है। जहाँ कभी बंदूक की आवाज़ गूँजती थी, वहाँ अब मतदाता सूची की पन्ने पलटने की आवाज़ सुनाई दे रही हैएस.करीमुद्दीन

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