20 नक्सलियों ने किया सरेंडर

कांकेर। अंतागढ़ क्षेत्र में सुरक्षा बलों के लगातार दबाव और सरकार की बेहतर पुनर्वास नीति के चलते आज 20 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। यह आत्मसमर्पण बर्रेबेड़ा गांव से हुआ, जहां सक्रिय नक्सली संगठन के सदस्य मुख्यधारा में लौटे।अधिकारियों के अनुसार, यह उपलब्धि एएसपी आशीष बंसोड और एसडीओपी शुभम तिवारी के प्रयासों का परिणाम है। इससे पहले कामतेड़ा कैंप में भी 50 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था। ताड़ोकी पुलिस और सुरक्षा बल अब नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। अधिकारियों का मानना है कि यह कदम अंतागढ़ क्षेत्र को नक्सलमुक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

हमें CPI (माओवादी) के पुनर्वासित केंद्रीय समिति सदस्य रूपेश @ सतीश द्वारा जारी एक वीडियो बयान प्राप्त हुआ है। अपने इस बयान में रूपेश ने दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति के नॉर्थ सब-ज़ोनल ब्यूरो के माओवादी कैडरों के सामूहिक आत्मसमर्पण के निर्णय की प्रक्रिया और उसके पीछे के कारणों का विस्तार से उल्लेख किया है।

उनके संदेश से यह स्पष्ट होता है कि हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय अधिकांश माओवादी कैडरों का एक सामूहिक और सोच-समझकर लिया गया फैसला था, जो शांति, प्रगति और सम्मानजनक जीवन में उनके विश्वास को दर्शाता है। केवल कुछ सीमित कैडर ही इस सर्वसम्मत निर्णय से असहमत या उससे अलग हैं।

यह भी प्रतीत होता है कि कुछ स्वार्थपूर्ण कारणों और व्यक्तिगत हितों के चलते पोलित ब्यूरो सदस्य देवजी, केंद्रीय समिति सदस्य संग्राम और हिडमा, तथा वरिष्ठ माओवादी कैडर जैसे बरसे देवा और पप्पा राव आदि ने सशस्त्र संघर्ष समाप्त करने के इस सामूहिक निर्णय की जानकारी निचले स्तर के कैडरों तक नहीं पहुँचाई है।

बस्तर पुलिस रूपेश और उनके 210 साथियों के इस निर्णय की सराहना करती है और उनका स्वागत करती है, जिन्होंने हिंसा का मार्ग त्यागकर शांति और पुनर्निर्माण का मार्ग चुना है — न केवल अपने जीवन को पुनः स्थापित करने के लिए, बल्कि दूसरों माओवादी कैडरों के लिए भी सही मार्ग दिखाया है।

बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पट्टलिंगम ने उल्लेख किया कि…सरकार की मंशा के अनुरूप, बस्तर क्षेत्र की जनता का कल्याण और सुरक्षा बस्तर पुलिस तथा यहाँ तैनात सुरक्षा बलों की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

आज शेष माओवादी कैडरों के सामने केवल एक ही विकल्प शेष है — हिंसा और विनाश के मार्ग को त्यागकर शांति और विकास के मार्ग को अपनाना। जो लोग अब भी इस विवेकपूर्ण आह्वान की अवहेलना करेंगे, उन्हें इसके अनिवार्य परिणामों का सामना करना पड़ेगा।

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