बिक गई देश की दूसरी सबसे बड़ी न्यूज एजेंसी यूएनआई, NCLT की मंजूरी

नई दिल्ली :13 फरवरी देश की प्रतिष्ठित समाचार एजेंसी यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (UNI) को आखिरकार नया जीवन मिल गया है। लंबे समय से गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रही इस एजेंसी के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने द स्टेट्समैन लिमिटेड द्वारा प्रस्तुत रेजोल्यूशन प्लान को मंजूरी दे दी है।

यह निर्णय इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत लिया गया, जिससे UNI में भारी निवेश का रास्ता साफ हो गया है। इस फैसले से करीब 900 कर्मचारियों और पूर्व कर्मचारियों, जिनमें सैकड़ों पत्रकार भी शामिल हैं, के बीच खुशी की लहर दौड़ गई है।

UNI को संकट से निकालने में IBC बना वरदान

NCLT द्वारा नियुक्त रेजोल्यूशन प्रोफेशनल (RP) पूजा बाहरी ने कहा, “आज इतिहास रच दिया गया है। IBC की बदौलत UNI जैसी ऐतिहासिक संस्था के पुनरुद्धार और पुनर्संगठन का आदेश मिला है। यह इस कानून की ताकत को दर्शाता है।”

उन्होंने बताया कि UNI पिछले कई दशकों से आर्थिक संकट से जूझ रही थी, लेकिन IBC के जरिए अब इसका पुनर्जीवन संभव हो सका है। उन्होंने कहा, “IBC का असली उद्देश्य कंपनियों का पुनरुद्धार और संचालन सुनिश्चित करना है और UNI इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन गई है।”

UNI के पुनरुद्धार से सैकड़ों परिवारों को राहत

UNI देश की दूसरी सबसे बड़ी समाचार एजेंसी है, जो अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में समाचार सेवा प्रदान करती है। इसके अलावा, इसका एक मजबूत फोटो सेवा विभाग भी है।

पूजा बाहरी ने कहा, “इस फैसले से न केवल वर्तमान कर्मचारियों को बल्कि उनके परिवारों को भी राहत मिली है। IBC के सही इस्तेमाल से यह सिद्ध हो गया है कि अगर सही इरादों और नैतिकता के साथ काम किया जाए, तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।”

64 साल पुरानी समाचार एजेंसी को नया जीवन

यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (यूएनआई) की स्थापना 1959 में हुई थी और 1961 में इसने अपना संचालन शुरू किया। यह भारत की प्रमुख समाचार एजेंसियों में से एक है, जो अंग्रेजी, हिंदी (यूनीवार्ता), और उर्दू में सेवाएं प्रदान करती है। हालांकि, पिछले एक दशक से यूएनआई गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही थी, जिसके परिणामस्वरूप इसे दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत समाधान प्रक्रिया में लाया गया।

सबसे खास बात यह है कि UNI एशिया की एकमात्र विश्वसनीय समाचार एजेंसी है, जो उर्दू भाषा में सेवा प्रदान करती है। इस वजह से देशभर में उर्दू समाचार पत्रों और वेबसाइटों की निर्भरता UNI पर बनी हुई थी।

UNI के प्रमुख ग्राहक और भविष्य की उम्मीदें

UNI के ग्राहक सूची में एचटी सिंडिकेशन, हिंदुस्तान (हिंदी दैनिक), दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, पंजाब केसरी, राष्ट्रीय सहारा, सामना, विभिन्न राज्य सरकारें, राजभवन और प्रमुख राजनीतिक दल शामिल हैं।

वर्तमान में UNI में 250 से अधिक कर्मचारी, जिनमें पत्रकार, फोटो पत्रकार और अन्य गैर-पत्रकार शामिल हैं, काम कर रहे हैं। इसके अलावा, देशभर के जिलों तक फैला फ्रीलांसर और स्ट्रिंगर नेटवर्क भी इसकी रीढ़ बना हुआ है।

UNI का नया स्वामित्व मिलने के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले वर्षों में यह समाचार एजेंसी किस तरह से अपने पुराने गौरव को वापस हासिल कर पाती है।

इससे पहले, फरवरी 2024 में, यूएनआई की नीलामी की खबरें सामने आई थीं, जिसमें अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी के बहनोई राकेश शाह सहित पांच लोगों के बोली लगाने की चर्चा थी। हालांकि, अंततः ‘द स्टेट्समैन लिमिटेड’ का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ।

यूएनआई के पुनरुद्धार के साथ, यह उम्मीद की जा रही है कि एजेंसी फिर से सफलता के शिखर को छू सकेगी और अपने ग्राहकों को त्वरित और सटीक समाचार प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखेगी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *