जगदलपुर, 25 दिसम्बर। छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी है पहाड़ी मैना। पहाड़ी मैना बस्तर में पायी जाती है। बस्तर जिले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में अब यह पक्षी बहुतायात में देखने को मिल रही है।
पहाड़ी मैना आदमी की तरह हूबहू आवाज भी निकालती है और मनुष्यों के संपर्क के आने के बाद ये बातें भी करती है। जिसके कारण तोते की तरह लोग इसे भी पिंजरे में कैद कर पालने लगे थे। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वर्ष 2002 में इसे छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी घोषित किया गया।
पहाड़ी मैना जब विलुप्तता के कगार पहुंच गई, तब इसकी संरक्षण व संर्वधन के लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई। यह योजना विफल हो गई।
विलुप्त होती बस्तर मैना को बचाने के लिए लगभग पिछले दो सालों से एक अभिनव योजना प्रारंभ की गई।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के संचालक श्री गणवीर का कहना है कि चूंकि पहाड़ी मैना छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी है और यह घने जंगलों में ऊंचे-ऊंचे पेड़ों पर स्वच्छंदता पूर्वक रहती है। उन्होंने सभी पक्षी प्रेमियों से अपील करते हुए कहा है कि पहाड़ी मैना को पिंजरे में कैद कर न रखें।
इस संबंध में बस्तर पहाड़ी मैना के संरक्षण एवं संर्वधन पर काम कर रहे सीनियर शोधार्थी युगल जोशी बताते हैं कि छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना की संख्या बहुत ही कम थी, यह पक्षी विलुप्तता के कगार पर पहुंच गई थी। तो इसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सबसे पहले पहाड़ी मैना की प्रकृति अर्थात उसके रहन-सहन, खान-पान और उसके आसपास के वातावरण जानने व पहचाने का काम शुरू किया। पहाड़ी मैना साल के सुखे पेड़ो की खोह में रहते है।
श्री गणवीर ने बताया कि चलायी जा रही मैना को बचाने के लिए अभिनव योजना प्रारंभ की गई है यह सफल हो रहा है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र के गांवों से करीब 11 मैना मित्रों की नियुक्ति विभाग द्वारा की गई है।