जगदलपुर . बस्तर स्थित कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में इस साल अमेरिका, रूस, फ्रांस और यूक्रेन जैसे देशों से आए करीब 120 विदेशी सैलानियों ने यहां की वादियों और झरनों का लुत्फ उठाया। पिछले पांच वर्षों में यहां कुल 4 लाख 56 हजार 832 पर्यटक पहुंच चुके हैं, जिनमें देश-विदेश के प्रकृति प्रेमी शामिल हैं।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान अपनी अनोखी भौगोलिक संरचना, गुफाओं और जलप्रपातों के लिए प्रसिद्ध है। यहां तीरथगढ़ जलप्रपात, कांगेर जलधारा और कोटमसर गुफा जैसी जगहें पर्यटकों की पहली पसंद बनी रहती हैं। बारिश के मौसम में चार महीने तक बंद रहने वाली कोटमसर गुफा अब फिर से पर्यटकों के लिए खोल दी गई है। इस गुफा में मानसून के दौरान पानी भर जाने से खतरा बढ़ जाता है, इसलिए इसे हर साल अस्थायी रूप से बंद किया जाता है।
वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले छह महीनों में ही 37 हजार 782 पर्यटक कांगेर घाटी पहुंचे हैं, जिनमें विदेशी सैलानी भी शामिल हैं। यहां की जैव विविधता भी पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। उद्यान में माउस डियर, लेथिस सॉफ्टशेल टर्टल और जंगली भेड़िया जैसी विलुप्तप्राय प्रजातियां पाई जाती हैं। इसके अलावा, यहां 900 से अधिक वनस्पतियों और 140 से ज्यादा तितलियों की प्रजातियां दर्ज की गई हैं।
यूनेस्को ने कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को विश्व धरोहर की अस्थायी सूची में शामिल किया है, जो छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है। यह राज्य का पहला स्थल है जिसे “प्राकृतिक विरासत” श्रेणी में चुना गया है। अब उम्मीद है कि अगले वर्ष यह उद्यान नॉमिनेशन लिस्ट में शामिल होकर स्थायी विश्व धरोहर स्थल का दर्जा हासिल करेगा।
प्राकृतिक सौंदर्य, जैव विविधता और अनूठे पर्यटन अनुभव के कारण बस्तर अब वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर अपनी पहचान मजबूत कर रहा है।