जगदलपुर (नरेश कुशवाह)
बस्तर ही नहीं प्रदेश और देश और दुनिया भर में छत्तीसगढ सरकार का पर्यटन मंडल बस्तर जिले के तीरथगढ़ एंव चित्रकोट जलप्रपात को राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों के रूप प्रर्दशित करता रहा है। इन पर्यटन स्थलों से स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलता है, साथ ही हजारों की संख्या में देशी विदेशी पर्यटक बस्तर पहुँचते जिससे कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के खजाने में भी लाखों रूपये की आमदनी होती है। लेकिन बस्तर के जनप्रतिनिधियों को इन सब बातों को लेकर कोई रूचि नहीं है। और अफसरों की सलाह पर लिए गये निर्णयों को मुहर लगा दी जाती है। तीरथगढ जलप्रपात जिस नाले पर स्थित है उसे मुनगा पदर नाले के रूप में जाना जाता है। और उसका मूल स्त्रोत ग्राम केलाऊर के आसपास प्राकृतिक स्त्रोतों से होता है जिसका जलप्रपात से पहले मात्र 15 किमी तक का प्रवाह है। इस नाले में 3 अक्टूबर 2023को पिछली सरकार के अंतिम दिनों में ग्राम कटेनार पटेल पारा के निकट 3.13 करोड की लागत से निर्माण कार्य का भूमिभूजन किया गया। स्थल पर लगे शिलालेख के अनुसार भूमिपूजन में मुख्य अतिथि के रूप में बस्तर सांसद एंव अध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस कमेटी दीपक बैज एंव अध्यक्षता विधायक चित्रकोट राजमन बिंजाम तथा अन्य पंचायत प्रतिनिधियों की उपस्थिति में मुनगा बहार व्यपवर्तन योजना के निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया गया।
बस्तर में विकास के नाम पर चल रहा विकास का खेल
संयुक्त बस्तर से अबतक सफल नहीं हुई व्यपवर्तन योजना
उपस्थित जनप्रतिनिधियों ने मुनगा बहार नाले में बनने वाली योजना की समीक्षा करना जरूरी नहीं समझा जबकि यह नाला ही तीरथगढ जलप्रपात का प्रमुख और एक मात्र जलस्त्रोत है। इसके बाद सरकार बदल गई और नई सरकार में भी सिंचाई विभाग के अफसरों ने स्वीकृति की प्रत्याशा में 4.5 करोड़ रूपये की नहरों के कार्यो की स्वीकृति दे कर निर्माण भी प्रारंभ कर दिये । बस्तर में जलसंसाधन विभाग का इतिहास रहा है कि संयुक्त बस्तर से अबतक कोई भी व्यववर्तन योजना सफल नहीं हुई क्योकि बस्तर पहाड़ी क्षेत्र होने यहां के नदी-नाले दिसम्बर पहुँचते तक खुद अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करते हुए सूखने लगते है।
खरीफ की फसल के दौरान बरसात के पानी से काम चल जाता है और रबी की फसल के लिए कितने किसान सिंचाई विभाग को पट्टी पटाते यह विभाग के पास भी उपलब्ध नहीं है। यहां तक की बस्तर जिले में भालूगूड़ा,कुम्हरावंड,तथा बनियागांव में जल उद्ववहन योजना भी सफल नहीं हो पाई यह सब जानते हुए भी सिंचाई विभाग अफसरों ने मुनगा बहार नाले में व्यववर्तन योजना का निर्माण प्रारंभ दिया जिसे प्रदेश के विश्व प्रसिद्व प्राकृतिक धरोहरों पर खतरा मंडराने लगा है।
बस्तर जिले के दरभा विकास खंड के प्राम पंचायत मामड़पाल एंव कटेनार की सीमा पर बहने वाले मुनगापदर नाला जो तीरथगढ जलप्रपात का प्रमुख एंव एकमात्र जलस्त्रोत में जलसंसाधन विभाग द्वारा पिछली सरकार के अंतिम दिनों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एंव बस्तर सांसद दीपक बैज एंव विधायक चित्रकोट राजमन बिंजाम की उपस्थिति में 3 अक्टूबर 2023में मुनगा बहार व्यपवर्तन योजना के निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया गया है। जलसंसाधन विभाग के अधिकारीयों द्वारा अपने लाभ के लिए शायद जनप्रतिनिधियों को इस निर्माण से होने वाले नुकसान से अवगत नहीं करवाया अन्यथा वे शायद ऐसे निर्माण को लेकर सहमत नहीे होते।
वर्तमान में कटेनार पटेल पारा के निकट नाले में वियर का निर्माण किया जा चुका है इस वर्ष वियर निर्माण से किसानों को काफी नुकसान भी हुआ उनके खेतों में नाले की रेत समाने से लगभग 30 एकड़ खेत में रेत भर जाने से किसान बेहाल है। परंतु उनकी सुध भी जलसंसाधन विभाग ने वहीं ली है। वहीं इस निर्माण से सबसे बड़ा खतरा उस समय प्रारंभ होगा जब नाले का पानी नहरों से प्रवाहित किया जावेगा और तीरथगढ जलप्रपात में पानी नहीं बचेगा चूकिं यही नाला कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की जीवन रेखा जो वर्ष भर बहता जिसमें रहने वाले वन्य प्राणी इस पर आश्रित हैं। यदि नाला सूख जाता है। इससे पर्यावरण एंव हजारों वन्य प्राणीयों के जीवन पर खतरा पैदा हो सकता है।
इस सबंध में जलसंसाधन विभाग के मुख्य अभियंता बस्तर श्री भंडारी से चर्चा करने पर उन्होंने कहा की ग्रामीणों द्वारा पानी की मांग की जा रही थी और वियर निर्माण से पानी रूककर प्रवाहित होगा वैसे भी फरवरी माह से जलप्रपात सूखने लगता है।
वहीं कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के संचालक नवीन कुमार से चर्चा करने पर उन्होंने मुनगा बहार नाले में इस तरह के निर्माण को लेकर अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा की चूकिं वियर निर्माण राष्ट्रीय उद्यान की सीमा में नहीं है। लेकिन नाले में पानी का प्रवाह प्रभावित होता है तो हजारों वन्य प्राणीयों के लिए चिंताजनक स्थिति हो सकती है। इसलिए कार्यस्थल का निरीक्षण करने के उपंरात उच्चाधिकारीयों को वस्तुस्थिति से अवगत करवाकर निर्माण से होने वाले नुकसान की समीक्षा करेगें।
 
                         
                         
                         
                         
                         
                         
				
			 
				
			 
				
			 
				
			