बीस साल से अंधेरे कमरे बंद लड़की ने खोयी अपने आंखो की रौशनी

जगदलपुर , 03 दिसम्बर। बस्तर जिले के कोलचूर के घरौंदा में एक ऐसी बच्ची को लाया गया जो पिछले बीस सालों से एक कमरे में कैद रही वहीं भोजन व नृत्य करम भी करती रही आज बीस साल के बाद जब वह अंधेरे कमरे से बाहर सूरज की रौशनी में आई तब उसकी आंखें ही चली गई है।
समाज कल्याण विभाग के उपसंचालक सुजिता लकड़ा ने बताया कि बस्तर जिले के बकावंड तहसील में छह साल की उम्र में घर के अंधेरे कमरे में बंद की गई एक बच्ची लिसा पूरे 20 साल तक उसी घुटनभरे, बिना खिड़की वाले कमरे में कैद रही जिसे कमरे में चलने तक की जगह मुश्किल से थी लिसा के नाना दरवाजा खोलकर उसे खाना रख जाते, और फिर दरवाजा बंद हो जाता है। कमरा ही उसका संसार बन गया जहां से न वह बाहर निकल सकी, न किसी से बात कर सकी।
उन्होंने बताया कि बकावंड एक युवक की गंदी नजर से परेशान उसके नाना ने बच्ची को बचाने के लिए उसके कमरे में बंद कर दिया। मां-बाप पहले ही गुजर चुके थे और बड़ा भाई अपने पत्नी के साथ अलग हो गया था वह अपने नाना के साथ ही रहती थी।
बड़ा बेटा पत्नी के साथअलग हो गया था और उसने कभी यह जानने की कोशिश नहीं की कि छोटी बहन लिसा जिंदा है भी या नहीं। मामला तब उजागर हुआ जब बकावंड में ही रहने वाले बच्ची के दादा ने समाज कल्याण विभाग को सूचना दी। उप-संचालक सुचित्रा लकड़ा, संजय मेनन और टीम पहुंचे, लेकिन कस्बे के वार्ड आवास प्लॉट पारा में वाला कोई लापता लड़की के बारे में कुछ बताने को तैयार नहीं था। लिसा का भाई भी पल्ला झाड़ गया।

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