भाजपा के स्वदेशी अभियान पर उठे सवाल
जगदलपुर, 3 अक्टूबर/ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने स्वदेशी अभियान को बड़े ज़ोर-शोर से आगे बढ़ा रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसके क्रियान्वयन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा समारोह के दौरान, पवित्र भीतर रैनी रथ पर चीन निर्मित प्लास्टिक के फूल प्रमुखता से दिखाई दिए, जिससे स्थानीय लोगों और सांस्कृतिक पर्यवेक्षकों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि यह कैसा स्वदेशी अभियान है?
भीतर रैनी अनुष्ठान का एक महत्वपूर्ण प्रतीक, रथ चमकीले गेंदे के फूलों से सजाया गया था। और परंपरनुसार इसे प्राकृतिक फूलों से ही सजाया जाता है। हालाँकि, बारीकी से जाँच करने पर, फूल कृत्रिम और चायनीज फूल लगे। यह स्वदेशी अभियान के बिल्कुल विपरीत है, जो स्वदेशी वस्तुओं के प्रचार और विदेशी उत्पादों के बहिष्कार पर ज़ोर देता है। हाल ही इसका खूब डंका बजाया जा रहा है कि स्वदेशी बनी वस्तुओं का ही इस्तेमाल करें।
यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की आपत्तियाँ उठाई गई हैं। पिछले साल भी, उत्सव में विदेशी सजावट में प्लास्टिक के फूलों का इस्तेमाल को लेकर चिंताएँ व्यक्त की गई थीं। उस समय, ज़िला कलेक्टर ने आश्वासन दिया था कि अगले वर्ष सुधार किया जाएगा। पिछले वर्ष के एक रिकॉर्डेड बयान में भी यही वादा किया गया है। फिर भी, इन आश्वासनों के बावजूद, कोई बदलाव नहीं हुआ है।
स्थानीय लोग अब एक तीखा सवाल पूछ रहे हैं अगर बस्तर का सबसे प्रतिष्ठित सांस्कृतिक उत्सव-जो भाजपा के नेतृत्व वाले प्रशासन से जुड़ा है और जिसकी देखरेख भाजपा के मज़बूत प्रतिनिधित्व वाली एक दशहरा समिति करती है-चीनी उत्पादों का इस्तेमाल जारी रखता है, तो सरकार के स्वदेशी अभियान को सफल कैसे माना जा सकता है?
इस विवाद ने जैसे उत्सवों पर ग्रहण लगा दिया है, जिससे स्वदेशी आदर्शों को व्यवहार में लागू करने की ईमानदारी पर संदेह पैदा हो रहा है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर इनका प्रचार किया जा रहा है। इस वर्ष बस्तर दशहरे में मशीनों का भी भरपूर इस्तेमाल हुआ है।